MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव अब दिलचस्प मोड़ पर आ गया है. भाजपा ने 136 और कांग्रेस ने 144 प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है. कांग्रेस ने भले ही अपनी पहली लिस्ट देर में जारी है की है, लेकिन इस लिस्ट में कई पहलुओं को ध्यान में रखा गया है. प्रत्याशी तय करने में जातिगत समीकरण, ज्योतिष और भाजपा के बड़े नेताओं की घेराबंदी को तरजीह दी गई है. शिवपुरी से चुनाव लड़ने की अटकलों के चलते कांग्रेस ने पहली ही लिस्ट में  ज्योतिरादित्य सिंधिया की फिल्डिंग जमा दी है. कांग्रेस पिछोर विधानसभा सीट से 6 बार के विजेता और कद्दावर नेता केपी सिंह को मैदान में उतार दिया है. 


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शिवपुरी विधानसभा सीट पर 1998 से भाजपा का कब्जा है. पिछले 5 में से 4 विधानसभा चुनाव में खुद भाजपा से ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया जीत रही हैं. इस बार यशोधरा राजे ने स्वास्थ्य कारणों के चलते चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. माना जा रहा है कि भाजपा इस सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतार सकती है. खुद सिंधिया ने भी अब तक चुनाव लड़ने की अटकलों से इनकार नहीं किया है. अगर सिंधिया शिवपुरी से चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस ने पहले उनके सामने एक मजबूत कैंडिडेट को खड़ा कर एक बड़ी चुनौती दे दी है. 


सिंधिया को केपी सिंह की चुनौती
कांग्रेस ने शिवपुरी विधानसभा सीट से पिछोर सीट से 6 बार के विजेता और क्षेत्र में 'काकाजू' के नाम से मशहूर केपी सिंह को मैदान में उतारा है. केपी सिंह अब तक पिछोर सीट से चुनाव लड़ते आए हैं, लेकिन अब उन्हें शिवपुरी भेजा गया है. पिछोर सीट से शैलेंद्र सिंह को टिकट दिया गया है. केपी सिंह पिछोर से लगातार 6 विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. वे 1993 से जीत रहे हैं. ऐसे में अगर सिंधिया को शिवपुरी से टिकट मिलता है तो ये उनके लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. 


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सिंधिया ने गिराई थी कांग्रेस सरकार
गौरतलब है कि साल 2018 में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में 15 साल वापसी की थी. लेकिन 15 महीने बाद ही कमलनाथ सरकार गिर गई थी. क्योंकि कांग्रेस से नाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे. कांग्रेस से भाजपा में आए सिंधिया ने कांग्रेस सरकार और वरिष्ठ नेताओं पर कई गंभीर आरोप लगाए . अब इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिंधिया को घेरने के लिए अलग से रणनीति बनाई है.