MP NEWS: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले एक ओर भाजपा घर-घर पहुंचकर लोगों से संपर्क साध रही है, दूसरी ओर कांग्रेस ने भी इस बार सत्ता में वापस आने के लिए बड़ा प्लान तैयार कर लिया है. कांग्रेस 2018 में मिले बहुमत के आंकड़े को फिर से दोहराने की कोशिश कर रही है, जिससे उसे खोई हुई सत्ता फिर से वापस मिल सके. इस बार मध्यप्रदेश कांग्रेस ने 22% वोट यानी आदिवासियों को साधने के लिए उलगुलान अभियान चलाने की तैयारी कर ली है.


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कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने बताया कि इस अभियान के तहत कांग्रेस आदिवासियों के बीच जाएगी और उनके साथ जुड़े हुए कई मुद्दों को उठाएगी. इन मुद्दों में पेसा कानून पर चर्चा, आरक्षण पर चर्चा, रोजगार गारंटी पर चर्चा,  शिक्षा पर चर्चा, जननायक एवं महापुरुषों की जीवन गाथा का वर्णन,  स्थानीय जन समस्या पर चर्चा, वन अधिकार पर चर्चा,  वोट का अधिकार पर चर्चा, स्वास्थ्य पर चर्चा, सामाजिक एकता अखंडता पर चर्चा, राजनीतिक सोच निर्मित करना, जल-जंगल-जमीन और 5वीं और 6वीं अनुसूची जैसे विषय शामिल होंगे.


इस तरह चलेगा अभियान
कांग्रेस इन मुद्दों को उठाने के लिए आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्रों में स्थानीय सामाजिक संगठनों के साथ बैठक करेगी. मध्यप्रदेश आदिवासी विकास परिषद इस चर्चा का आयोजन करेगा. कांग्रेस का यह अभियान सभी अनुसूचित जनजाति वर्ग को एक साथ लाने के लिए होगा. सभी जिले की परिषद इकाई अपने क्षेत्र में विधानसभा वात उलगुलान कार्यक्रम का प्रदेश की समिति के साथ कार्यक्रम का आयोजन करेंगी .


78 सीटों पर निर्णायक हैं आदिवासी वोट
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में करीब 22 प्रतिशत वोट आदिवासियों के हैं. आदिवासी समाज का प्रभाव प्रदेश की करीब 78 विधानसभा सीटों पर है. ये वह सीटें हैं जहां आदिवासी वोटर किसी को भई जिताने और हराने की ताकत रखते हैं. खास बात ये है कि इन 78 में से 47 सीटें एससी और एसटी के लिए रिजर्व हैं. यही वजह भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दल आदिवासियों को साधने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं.