Damoh Lok Sabha Chunav Result: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए होने वाले 4 चरणों के मतदान में दूसरे चरण के लिए 6 सीटों में 26 अप्रैल, दिन शुक्रवार को वोटिंग हुई. राज्य में कुल 58 फीसदी से ज्यादा वोट पड़े. इस चरण में दमोह सीट भी शामिल रही. यहां की जनता ने अपने अधिकार का उपयोग करते हुए लगभग 56.33% मदतान किया. यहां से भाजपा ने राहुल सिंह लोधी को और कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी को मैदान में उतारा था. इनके भाग्य का फैसला जनता ने कर दिया है. अब परिणाम सबसे के सामने 4 जून को आएंगे. इससे पहले आइये जानते हैं इस सीट के पुराने रिजल्ट, समीकरण और इतिहास.


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2019 का रिजल्ट


साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में दमोह से बीजेपी के प्रहलाद पटेल ने जीत हासिल की थी. उन्होने कांग्रेस उम्मीदवार को 2 लाख 13 हजार 299 वोटों से हराया था. बीजेपी प्रत्याशी को 7 लाख 4 हजार 524 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 3 लाख 51 हजार 113 वोट मिले थे, इसी तरह बसपा प्रत्याशी को 45 हजार 848 वोट मिले थे. 


2014 का रिजल्ट
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रह्लाद सिंह पटेल ने जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप सिंह को हराया था. इस चुनाव में प्रहलाद पटेल को 5,13,079 और महेंद्र प्रताप सिंह को 2,99,780 वोट मिले थे.


कौन-कौन है प्रत्याशी?
दमोह से भारतीय जनता पार्टी ने बीजेपी ने राहुल सिंह लोधी को टिकट दिया है.राहुल सिंह लोधी दमोह विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था. वहीं कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी पर भरोसा जताया है.तरवर सिंह बंडा के पूर्व विधायक हैं. खैर अब देखना होगा की 2024 के चुनाव में जनता किसे अपना मत देते है.


क्या है सीट का गणित
दमोह लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की चार सीटें आती हैं, जिनमें चार सीटें दमोह जिले की दमोह, पथरिया, जबेरा और हटा शामिल हैं, इसके अलावा तीन सीटें सागर जिले की बंडा, देवरी और रहली शामिल हैं, जबकि छतरपुर जिले की एक सीट बड़ामलहरा शामिल है. 


राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस सीट पर कास्ट कॉम्बिनेशन को ध्यान में रखकर चुनाव लड़ा जाता है, लोधी बाहुल्य सीट होने की वजह से ज्यादातर राजनीतिक दल इसी वर्ग से आने वाले प्रत्याशियों को चुनाव लड़वाते हैं, लोधी, कुर्मी वर्ग यानि ओबीसी यहां 22.4 प्रतिशत के आसपास है, इसके अलावा वैश्य, जैन यानि सवर्ण 7 प्रतिशत के आसपास माने जाते हैं, जबकि ब्राहमण-राजपूत 10 प्रतिशत हैं, वहीं आदिवासी वर्ग 9.6 प्रतिशत हैं, जबकि यादव मतदाता भी 5.7 प्रतिशत हैं.