Laxman Singh On EVM: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर चल रहे विवाद के बीच दिग्विजय सिंह के भाई और वरिष्ठ कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह ने बड़ा बयान दिया है. मध्य प्रदेश में ईवीएम को लेकर घर में आर-पार को देखने को मिला है. एक तरफ दिग्विजय सिंह ईवीएम का विरोध कर रहे हैं, वहीं, भाई लक्ष्मण भड़क गए और कहा कि ये हमारे देश का मामला है. हम देखेंगे, मस्क को खुद देखना चाहिए. इसके साथ ही लक्ष्मण सिंह ने विपक्ष को सलाह दी है कि उन्हें सरकारी संस्थाओं पर भरोसा रखना होगा. दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने ईवीएम के मुद्दे पर एलन मस्क को घेरते हुए कांग्रेस नेतृत्व और अपने भाई दिग्विजय सिंह को आईना दिखाया.


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लक्ष्मण सिंह ने कहा कि ईवीएम को शुरू करने वाली कांग्रेस पार्टी ही थी. इस पर सवाल उठाना कहीं से भी उचित नहीं है . गौरतलब है कि लक्ष्मण सिंह के भाई दिग्विजय सिंह कई बार EVM पर सवाल उठा चुके हैं. साथ ही हाल ही में EVM पर एलन मस्क की टिप्पणी पर लक्ष्मण सिंह ने उनकी आलोचना की और सुझाव दिया कि मस्क को अपने मामलों पर ध्यान देना चाहिए. लक्ष्मण सिंह ने कहा कि एलन मस्क कोई तोप है क्या? वो सवाल उठाने वाले कौन होते हैं? हमें अपनी चुनावी संस्थाओं पर, सरकारी एजेंसियो पर भरोसा रखना चाहिये.


'EVM की शुरुआत कांग्रेस पार्टी ने की थी'
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM)को लेकर उठ रहे सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए लक्ष्मण सिंह ने कहा कि EVM की शुरुआत कांग्रेस पार्टी ने की थी. जब ईवीएम की शुरुआत हुई थी, तब सोनिया गांधी यूपीए की अध्यक्ष थीं. इसलिए ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना ठीक नहीं है, उन्होंने जोर देकर कहा, "ईवीएम पर सवाल उठाना सही नहीं है, वे कांग्रेस सरकार की देन हैं. 'केंद्रीय बलों की निगरानी में ईवीएम से कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती." 


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साथ ही लक्ष्मण सिंह ने विभिन्न विषयों पर पत्रकारों के सवालों के जवाब भी दिए. उन्होंने एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से बाबरी मस्जिद विषय को हटाने के विवाद को लेकर भी अपनी बात रखी. जिस पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की प्रतिक्रियाएं आई हैं. सिंह ने तर्क दिया कि बच्चों को यह ऐतिहासिक तथ्य जानना चाहिए कि उस स्थान पर राम मंदिर था और उन्होंने पाठ्यपुस्तकों से बाबरी मस्जिद विषय को हटाने का समर्थन किया. 


वहीं, लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेतृत्व बदलने के मुद्दे पर लक्ष्मण सिंह ने नेतृत्व परिवर्तन का विरोध किया. उन्होंने बंद कमरे में लोगों के एक छोटे समूह द्वारा निर्णय लिए जाने के बजाय ब्लॉक स्तर पर समितियां बनाने की वकालत की.