Farmers News: सोयाबीन मध्य प्रदेश की प्रमुख फसलों में गिनी जाती है. प्रदेश में खरीफ की फसलों में सोयाबीन की बोवनी जमकर होती है. मध्य प्रदेश में इस बार भी कई जिलों में किसानों ने सोयाबीन की फसल लगाई है. लेकिन इस बीच सोयाबीन के दाम बढ़ाने की मांग उठी है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम मोहन यादव से सोयाबीन के भाव बढ़ाने की डिमांड की है. उनका कहना है कि पिछले 13 सालों से सोयाबीन का भाव ज्यादा नहीं बढ़ा है. इसलिए अब सोयाबीन के दामों को बढ़ाया जाना चाहिए. 


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सोयाबीन 6 हजार प्रति क्विटल होना चाहिए 


दिग्विजय सिंह का कहना है कि 13 सालों से सोयाबीन का भाव 4300 के आस पास रहा है. लेकिन अब किसानों की जरुरत को देखते हुए सोयाबीन 6000 रु प्रति क्विंटल के भाव से बिकना चाहिए. क्योंकि बीते 13 साल से सोयाबीन के भाव नहीं बढ़ने के कारण इसके दाम में वृद्धि की मांग उठ रही है, 2011 के बाद से सोयाबीन के भाव लगभग स्थिर हैं. इसलिए सरकार को अब दाम बढ़ाना चाहिए. पूर्व सीएम ने कहा सोयाबीन की फसल का भाव अंतरराष्ट्रीय सोयाबीन के उत्पादन पर भी निर्भर करता है, हमारे अधिकांश किसान खरीफ में सोयाबीन की फसल लेते हैं. किसानों के हित में सोयाबीन के दाम 6000 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने चाहिए ताकि देश और प्रदेश के किसानों को सोयाबीन की फसल का पूरा लाभ मिल सके. 


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मध्य प्रदेश में की प्रमुख फसल है सोयाबीन 


दिग्विजय सिंह ने कहा देश में लगभग 50 प्रतिशत से ज्यादा सोयाबीन मध्य प्रदेश में पैदा किया जाता है. लेकिन सन 2011 से लेकर आज तक लागत दोगनी तिगुनी हो गई पर सोयाबीन का भाव जस का तस है. यही मध्यप्रदेश के 100 प्रतिशत किसानों की डिमांड भी है, इस बात पर पीएम और सीएम पूरा ध्यान दें.' बता दें कि हर साल की तरह इस साल भी मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में किसानों ने सोयाबीन की फसल लगाई है. ऐसे में दामों को बढ़ाने की मांग उठी है. 


मध्य प्रदेश को कहा जाता है सोया प्रदेश 


मध्य प्रदेश में सोयाबीन की उपयोगिता को इसी बात से समझा जा सकता है कि प्रदेश का एक उपनाम सोया प्रदेश भी है. क्योंकि मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल का उत्पादन बंपर तरीके से होता है. ऐसे में इसे सोया प्रदेश कहा जाता है. हालांकि पिछले कुछ सालों में सोयाबीन की बोवनी में गिरावट भी आई है. लेकिन मध्य प्रदेश में अभी भी बड़े पैमाने पर किसान सोयाबीन लगाते हैं. जल्द ही सोयाबीन की फसल की कटाई शुरू होगी और फिर किसान मंडी में खरीदी के लिए इसे लेकर पहुंचते हैं. 


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