नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने शनिवार को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के इलाके राघोगढ़ में एक जनसभा की थी. इस दौरान सिंधिया ने दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के करीबी हीरेंद्र सिंह को भाजपा की सदस्यता दिलाकर पूर्व सीएम को जोरदार झटका दिया था. ऐसे में दिग्विजय सिंह भी कहां चुप रहने वाले थे! बता दें कि अब दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तीखा पलटवार किया है. दिग्विजय सिंह ने कहा कि 'गद्दारों (Traitors) को इतिहास माफ नहीं करता और आने वाली पीढ़ियां भी याद रखती हैं कि इन्होंने गद्दारी की थी.'


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इतिहास की कहानी सुना गए दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh)
दिग्विजय सिंह विदिशा जिले की लटेरी तहसील के एक गांव में किसानों से मिलने पहुंचे थे. इस दौरान अपने संबोधन में दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia)  को आड़े हाथों लिया. दिग्विजय सिंह ने कहा कि "सिंधिया ने कांग्रेस में पूरा फायदा उठाया और अब चले गए भाजपा में. हमारे एमएलए को भी भगा ले गए. इतिहास गद्दारों को माफ नहीं करता. आने वाली पीढ़ियां भी याद रखती हैं कि इन्होंने गद्दारी की थी." 


इतिहास का जिक्र करते हुए दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने कहा कि "आज भी जब रानी लक्ष्मीबाई की बात आती है तो सिंधिया की बात भी आती है. पानीपत की लड़ाई में अगर इन्होंने हिंदू राजाओं का साथ दिया होता तो अहमद शाद अब्दाली पानीपत की लड़ाई हार गया होता. महाराज सिंधिया जी ने कांग्रेस से गद्दारी ना की होती तो आज भी प्रदेश में कमलनाथ जी की सरकार रहती और किसानों का कर्ज माफ हो गया होता."


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इससे पहले सिंधिया ने शनिवार ने गुना, राघोगढ़ में जनसभाएं की. इस दौरान दिग्विजय सिंह के खास और राघोगढ़ से दो बार विधायक रहे मूल सिंह के बेटे हीरेंद्र सिंह को भाजपा में शामिल कराया. यह सिंधिया (Jyotiraditya Scindia)  की राघोगढ़ में पहली जनसभा थी और इसे सीधे तौर पर दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) को चुनौती के तौर पर देखा गया.


ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia)  और दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के बीच पुरानी है वर्चस्व की लड़ाई
ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच वर्चस्व की लड़ाई पुरानी है. जब दोनों नेता कांग्रेस में थे तो तनातनी की खबरें बाहर नहीं आ पाती थीं लेकिन अब जब सिंधिया ने भाजपा का दामन थाम लिया है तो दोनों नेता खुलकर आमने-सामने आ गए हैं. 18वीं सदी में सिंधिया राजपरिवार और राघोगढ़ रियासत के बीच युद्ध भी हो चुका है. 90 के दशक में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया और दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) सीएम पद के दावेदार थे लेकिन दिग्विजय सिंह ने बाजी मार ली थी. अब 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia)  सीएम पद के तगड़े दावेदार थे लेकिन कमलनाथ सीएम चुने गए. माना गया कि इसमें भी दिग्विजय सिंह की अहम भूमिका थी. 


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