खेतों में खड़ी फसल को क्यों नष्ट कर रहे किसान, कैसे घाटे का सौदा बनी सोयाबीन
Agriculture News: मध्य प्रदेश में मुख्य फसल में गिनी जाने वाली सोयाबीन की फसल अब किसानों के लिए सिरदर्द बन गई है. मंदसौर के कई किसानों खेतों में खड़ी सोयाबीन की फसलों को नष्ट कर रहे हैं. इधर, बैतूल में भारी बारिश की वजह से सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई हैं.
Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश के मंदसौर के अधिकतर खेतों में सोयाबीन की अच्छी फसल खड़ी है, लेकिन कुछ किसान खेत में लहलहाती अपनी फसल को नष्ट कर रहे हैं. पिछले तीन दिनों में ऐसे तीन मामले सामने आए हैं. किसानों को सोयाबीन के गिरते दामों के चलते अपनी फसल का लागत मूल्य न निकलने की चिंता सता रही है. इसलिए वे अपनी खड़ी फसल पर रोटावेटर चला कर फसल को नष्ट कर रहे हैं.
पिछले तीन दिनों में गरोठ के देवरिया के किसान कमलेश पाटीदार और राजेश पाटीदार ने अपनी फसल पर ट्रैक्टर चलाया. दलौदा के राकोदा के किसान नागेश्वर पाटीदार ने भी अपने खेत में खड़ी सोयाबीन को फसल नष्ट कर दी. किसानों का कहना है कि प्रति बीघा सोयाबीन की फसल के उत्पादन की लागत दस हजार आती है, जबकि अभी के भाव लगभग 4000 है और फसल आने पर अनुमानित भाव के हिसाब से प्रति बीघा के लगभग ढाई क्विंटल सोयाबीन उत्पादन पर 8750 मिलेगा.
इस तरह हो रहा किसानों का नुकसान
किसान कमलेश पाटीदार ने अपनी दस बीघा फसल को रोटोबेटर से नष्ट करवाया. उनका कहना है कि पिछले साल की सोयाबीन मंडी में बेची तो उसका भाव 3800 रुपये क्विंटल आया, मुझे लगा कि मेरी इस फसल का दाम भी तीन हजार से पैंतीस सो आएगा और मुझे नुकसान होगा. इसलिए मैंने फसल को नष्ट कर दिया. अगर सोयाबीन 3000 से 3500 रुपये क्विंटल बिकता है तो सोयाबीन की खेती पूरी तरह से घाटे का सौदा होगी लागत ही नहीं निकल रही है. इसलिए मैंने इनको हाथ से नष्ट करना ही उचित समझा. 4900 msp रेट है. Msp रेट से लगभग 1500 रु कम बिकने कोई फायदा नहीं होगा. आगे भी मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं कि एमएसपी रेट से यदि सोयाबीन नीचे बिकेगा तो किसानों को काफी नुकसान होगा. इसको निर्यात करें या भाव बढ़ाएं तभी किसानों का फायदा हो पाएगा.
भारी बारिश से नष्ट हुई सोयाबीन और मक्का की फसल
बैतूल जिले में पिछले 15 दिनों से लगातार हो रही बारिश का असर खरीफ की फसलों पर दिखाई देने लगा है. बैतूल में बड़े पैमाने पर सोयाबीन और मक्का की फसल खराब होने की कगार पर आ चुकी है. बारिश की वजह से किसान फसल में समय पर दवाई और खाद नहीं डाल सके. जिससे फसलों में बीमारी लग रही है. लगातार बारिश होने की वजह से खासकर सोयाबीन की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है. जलभराव की वजह से एक ओर खेतों में सोयाबीन के पौधों की जड़ें गल रही हैं वहीं दूसरी ओर फसल पीली हो चुकी है. ऐसे में अब फूल पर आई फसल कई इलाकों में खराब हो चुकी है. बारिश का असर मक्का की फसल पर भी पड़ा है. कई इलाकों में मक्के की फसल बैठ गई है. जल भराव वाली जमीन में खासकर फसलों को बड़ा नुकसान पहुंचा है. फसल खराब होने से किसान चिंतित नजर आ रहे हैं.
मंदसौर से मनीष पुरोहित की रिपोर्ट
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