चन्द्रशेखर सोलंकी/रतलामः हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि भगवान गणेश अपने भक्तों के लिए सदैव तैयार रहते हैं. ऐसे ही रतलाम में स्थित है भगवान ऊकाला गणेश की विशाल प्राचीन खड़े स्वरूप में प्रतिमा है, जो भक्तों के हर शुभ कार्य को लेकर तैयार खड़े रहते हैं और रतलाम शहर के लोग भी अपने घर में हर मंगलिक कार्य में सर्वप्रथम ऊकाला गणेश को निमंत्रण देते हैं 


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पूरे मालवा में एकमात्र गणेश जी की खड़ी प्रतिमा
मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में ऊकाला गणेश की बहुत ही प्राचीन प्रतिमा है. बता दें कि यह प्रतिमा 12 फीट की पत्थर पर तराशी गई है, जो पूरे मालवा में एकमात्र गणेश जी की खड़ी प्रतिमा है. पूरे शहर के लोग अपने घर में होने वाली शादी का पहला कार्ड यहां देकर ऊकाला गणेश जी को न्योता देते हैं. इसके बाद ही शादी या अन्य मांगलिक कार्यक्रम किए जाते हैं.


भगवान गणेश की ब्रम्हचारी स्वरूप में होती है पूजा
इस मूर्ति में गणेश भगवान के साथ रिद्धि-सिद्धि नहीं हैं और इसलिए इस मंदिर में गणेश भगवान की ब्रह्मचारी और तपस्वी रूप में पूजा की जाती है. गणेश उत्सव के दौरान यहां दूर-दूर से भक्त आते हैं और भगवान के दर्शन कर मनोकामना का धागा बांधते हैं. जब लोगों की मनोकामना पूरी हो जाती है तो वो धागा खोलने वापस मंदिर आते हैं.


जानिए क्यों कहा जाता है ऊकाला गणेश
इस प्राचीन मंदिर को लेकर बताया जाता है कि यह 400 वर्ष पुराना है. इस मंदिर के बाहर प्राचीन बावड़ी भी है. ऊकाला गणेश नाम को लेकर यह भी कहा जाता है कि यहां गणेश स्थापना के समय खोदे गए कुंड में से उबलता हुआ गर्म पानी निकला था और इसीलिए इस स्थान के नाम ऊकाला गणेश हुआ. वहीं इस मंदिर से लगा है प्राचीन शिव मंदिर, जो खड़े विशाल गणेश प्रतिमा के ठीक पीछे है.


दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
मंदिर के पुजारी बताते है कि इस मंदिर पर खड़े गणेश के आकर्षक स्वरूप के दर्शन के लिए न सिर्फ अन्य जिले बल्कि अन्य प्रदेश से भी श्रद्धालु आते है, श्रद्धालुओं का गणेश उत्सव के दौरान यहां तांता लगता है. गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को है. ऐसे में यहां भारी संख्या में भक्तों का भीड़ उमड़ेगा.


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