प्रह्लाद सेन/ग्वालियर: नियम-कायदें को ताक पर रखकर आदेश जारी करना शिवपुरी कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह को महंगा पड़ गया है. शिवपुरी कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह को हाईकोर्ट में जमकर फटकार लगी है. यहां तक कि कोर्ट ने कलेक्टर पर तल्ख टिप्पणी करते हुए यह तक कह दिया कि आप जिले के कलेक्टर हैं, राजा नहीं है. इसलिए कार्यपालिका के अंग का हिस्सा होने के नाते आप नियम कायदों में रहकर सही आचरण करें. 


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आदिम जाति कल्याण विभाग से जुड़ा हुआ है मामला
दरअसल यह मामला शिवपुरी जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक पद से जुड़ा हुआ है. कलेक्टर शिवपुरी अक्षय कुमार सिंह ने इस पद पर नियम विरुद्ध जाकर महावीर प्रसाद जैन नियुक्ति कर दी थी. इसके लिए बाकायदा कलेक्टर ने आदेश जारी किया और उन्हें प्रभार सौंप दिया,जबकि इस पद पर वरिष्ठ अधिकारी आर एस परिहार का स्थानांतरण किया गया था. लिहाजा आदिम जाति कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी आर एस परिहार ने कलेक्टर के इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने कलेक्टर के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. 


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हाईकोर्ट ने कलेक्टर के तुगलकी फरमान को गंभीरता से लिया
हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए तथ्यों और कलेक्टर के तुगलकी फरमान को गंभीरता से लिया. इस मामले में सुनवाई करते हुए कलेक्टर शिवपुरी को न्यायालय में तलब किया और सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह पर कड़ी टिप्पणी की है. उनके व्यवहार को लेकर हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कलेक्टर कार्यपालिका का एक अभिन्न हिस्सा है, लेकिन कलेक्टर को व्यवहार कार्यपालिका के नियमानुसार करना चाहिए. हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों को लेकर की, जो कलेक्टर कार्यपालिका के विधि अनुसार अपना आचरण विचरण नहीं कर रहे हैं.


बता दें कि हाईकोर्ट ने कलेक्टर शिवपुरी पर भी टिप्पणी करते हुए उन्हें निर्देशित किया है. कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर जिले का कलेक्टर होता है,बल्कि जिले का राजा नहीं है.हालांकि मामले में कलेक्टर शिवपुरी ने अपनी गलती स्वीकार की और अपने आदेश को वापस लेते हुए सुधार किया है.