ग्वालियर हाईकोर्ट ने टीआई, एएसआई के खिलाफ दर्ज कराई FIR, जानिए क्यों अहम है ये आदेश?
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मामले में पुलिसकर्मियों को घोर लापरवाही मानी और इस बात पर भी नाराजगी जताई कि पुलिसकर्मियों ने लड़की की बात मान ली और अपने स्तर पर मामले की जांच नहीं की.
शैलेंद्र सिंह भदौरिया/ग्वालियरः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक अहम फैसला दिया है. दरअसल हाईकोर्ट ने एक टीआई और एक एएसआई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. दोनों पुलिस अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने एक नाबालिग लड़की की गुमशुदगी के मामले की ठीक से जांच नहीं की और साथ ही बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने गए माता-पिता से भी अभद्रता की.
क्या है मामला
ग्वालियर हाईकोर्ट ने जिले के एसएसपी अमित सांघी को निर्देश दिए हैं कि वह झांसी रोड थाने के टीआई संजीव नयन शर्मा और विवेचना अधिकारी एएसआई राम कुमार त्रिपाठी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करें. कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया है कि 10 दिनों के भीतर दोनों पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर कोर्ट को इसकी जानकारी दें.
दरअसल झांसी रोड थाना क्षेत्र में रहने वाली एक महिला ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी. जिसमें बताया गया कि उनकी नाबालिग बेटी को सोनू पारदी और उसके अन्य साथियों ने बंधक बनाकर बंदी बनाकर रखा हुआ था. जब वह इसकी शिकायत करने झांसी रोड थाने गईं तो वहां टीआई और एएसआई ने उनके और उनके पति के साथ अभद्रता की.
याचिका में ये भी बताया गया कि उनकी बेटी 25 अप्रैल को गायब हुई थी और 30 अप्रैल को घर वापस आ गई थी. लड़की ने पुलिस को बताया कि वह कटोरे गांव स्थित एक मंदिर में दो दिनों तक रही. वहां से वह बिलौआ आ गई और वहां से उसके मामा उसे घर ले आए.
इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मामले में पुलिसकर्मियों को घोर लापरवाही मानी और इस बात पर भी नाराजगी जताई कि पुलिसकर्मियों ने लड़की की बात मान ली और अपने स्तर पर मामले की जांच नहीं की. कोर्ट ने फरियादी से अभद्रता पर भी कड़ी नाराजगी जाहिर की और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए.
ग्वालियर हाईकोर्ट का यह निर्देश बेहद अहम है क्योंकि कई मामलों में ऐसा देखा जाता है कि कई मामलों में पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई नहीं की जाती या फिर थोड़ी लापरवाही की जाती है. ऐसे में अब ग्वालियर हाईकोर्ट का यह मामला नजीर बनेगा.