ग्वालियरः ग्वालियर के सबसे पुराने और ऐतिहासिक तालाब जनकताल को प्रशासन ने निजी हाथों में जाने से बचा लिया है. बता दें कि जनकताल और इसकी 11 बीघा जमीन खसरे में सरकारी दर्ज हो गई है. 7 महीने पहले ही कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने इस जमीन के सरकारी करने के आदेश दिए थे. हालांकि उस वक्त जांच के चलते यह मामला टल गया था. अब जाकर प्रशासन ने जनकताल को खसरे में सरकारी दर्ज कर लिया है. सरकारी होने के बाद ग्वालियर के इस मशहूर पर्यटन स्थल को विकसित किया जा सकेगा. 


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क्या है पूरा मामला
जनकताल साल 2007 तक सरकारी अभिलेखों में सरकारी जमीन के तौर पर दर्ज था लेकिन आरोप है कि साल 2008 में बहोड़ापुर क्षेत्र के राजस्व अफसरों ने अलग-अलग स्याही और हैंड राइटिंग से यह जमीन निजी लोगों के नाम चढ़ा दी. जिसकी जानकारी अधिकारियों को हुई तो उन्होंने जमीन को खसरे में सरकारी करने के आदेश दिए. अब मंगलवार को यह जमीन सरकारी अभिलेखों में दर्ज हो गई. 


सिंधिया घराने का रहा है पिकनिक स्पॉट
ग्वालियर का जनकताल करीब ढाई सौ साल पुराना है. इसका निर्माण सिंधिया राजवंश के जनकोजीराव सिंधिया के नाम पर हुआ था. जनकताल में पांच बारादरी बनी हुई हैं. जिनमें से चार चारों दिशाओं में और एक तालाब के बीच में स्थित है. माना जाता है कि जनकताल सिंधिया राजघराने का पिकनिक स्पॉट था और सिंधिया राजघराना यहां छुट्टी बिताने आता था. यहां एक पहाड़ भी है, जहां से पानी बहकर जनकताल में आता था. 


आज जनकताल आस्था का केंद्र भी है, जहां गणेश विसर्जन, माता विसर्जन के साथ ही मुस्लिम समुदाय ताजिया का विसर्जन भी करता रहा है. कलेक्टर ने बताया कि इस तालाब का सौंदर्यीकरण करके इसका मूल स्वरूप लौटाया जाएगा. जनकताल की जमीन पर एक मंदिर और गौशाला भी मौजूद है. अब सरकार इस पूरी जगह का सौंदर्यीकरण कर सकेगी.