ग्वालियरः मध्य प्रदेश की पूर्व मंत्री इमरती देवी इन दिनों अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं. आज उन्होंने एक बार फिर बड़ा बयान दिया है. जो प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, कल इमरती देवी ने कहा था कि उन्हें हार का सामना इसलिए करना पड़ा क्योंकि उन्होंने पार्टी बदल ली थी. उन्होंने अपने इसी बयान पर सफाई तो दी लेकिन यह भी कहा कि हम बीजेपी की बात क्यों करें हम तो महाराज के साथ थे. 


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जहां महाराज थे वही रहेंगे 
ग्वालियर में आयोजित एक कार्यक्रम में जब पूर्व मंत्री इमरती देवी से पूछा गया कि पार्टी बदलने के चलते आपको हार का सामना करना पड़ा इस पर आपका क्या कहना है तो इमरती देवी ने कहा कि ''मैं कांग्रेस में क्यों रहती जहां महाराज थे वही रही. हमारी तो जिंदगी उन्हीं के लिए है. चुनाव हार गए तो क्या हुआ फिर जीतेंगे, प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक चुनाव हार जाते है, जनता में हमारी कुछ कमी रह गई होगी उसे पूर्ती करेंगे और 2023 में फिर से चुनाव जीतेंगे.''


इमरती देवी को मिला है कैबिनेट मंत्री का दर्जा 
इस दौरान इमरती देवी ने कहा कि हारकर भी मुझे कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है. 2023 में चुनाव फिर लड़ेंगे और जीतेंगे. बता दें कि दो दिन पहले इमरती देवी ने ग्वालियर में एक कार्यक्रम के दौरान यह कहा था कि कांग्रेस में रहती तो चुनाव नहीं हारती पार्टी बदल दी इसलिए उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इमरती देवी के इस बयान के बाद कांग्रेस ने उन पर निशाना भी साधा था. 


दरअसल, हाल ही में लंबे इंतजार के बाद मध्य प्रदेश के निगम मंडलों में नयी नियुक्तियां हुई थी. इस दौरान भी  सबसे ज्यादा चर्चा में रहीं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की खास समर्थक इमरती देवी उन्हें लघु उद्योग निगम का अध्यक्ष बनाया गया. दो दिन पहले जब एक कार्यक्रम में उपचुनाव में उनकी हार पर सवाल किया गया. इस दौरान इमरती देवी का हार को लेकर दर्द फिर से देखा गया. एक तरह से उन्होंने अपनी हार का जिम्मेदार पार्टी को ठहराया.


हार का ठीकरा पार्टी पर फोड़ा
इमारती देवी ने उपचुनाव में अपनी हार का ठीकरा पार्टी पर फोड़ा. चुनाव में हुई अपनी हार के लिए पार्टी को जिम्मेदार बताते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव हारे क्योंकि बीच में पार्टी बदल ली, नहीं तो हमे कोई नहीं हरा पाता. इमरती देवी के इस बयान के बाद कांग्रेस ने उन पर निशाना साधा था. 


सिंधिया की कट्टर समर्थक है ज्योतिरादित्य सिंधिया  
दरअसल, इमरती देवी ज्योतिरादित्य सिंधिया की कट्टर समर्थक मानी जाती है. वह ग्वालियर जिले की डबरा विधानसभा सीट से लगातार तीन बार कांग्रेस से विधायक बनी थी. 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उन्हें कमलनाथ सरकार में मंत्री भी बनाया गया था. लेकिन सिंधिया के साथ वह बीजेपी में शामिल हो गई और मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. उपचुनाव में इमरती देवी बीजेपी की तरफ से चुनाव में उतरी लेकिन अपने ही समधी सुरेश राजे से हार का सामना करना पड़ा था. 


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