इंदौर/शताब्दी शर्मा: इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में एक बार फिर पुराने छात्रों द्वारा नए प्रथम वर्ष के छात्रों के साथ रैगिंग का मामला (Indore MGM Medical College Ragging Case) सामने आया है.पीड़ित छात्रों की शिकायत सामने आने के बाद एमजीएम प्रबंधन ने 24 जुलाई को संयोगितागंज थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी. जिसकी जांच जारी है.


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दिल्ली में की गई थी शिकायत
प्रथम वर्ष के छात्रों ने थर्ड ईयर के छात्रों पर प्रताड़ना और मारपीट के आरोप लगाए हैं. हालांकि डीन संजय दीक्षित ने रैगिंग के मामले में मीडिया को जवाब तलब करते हुए खुल कर कोई बात नहीं बताई है. हालांकि उनका कहना है कि कॉलेज के स्टूडेंट्स के साथ ये जो भी गतिविधियां हुईं वो आउट ऑफ कैंपस हुईं हैं. डीन के मुताबिक कुछ स्टूडेंट ने कॉलेज से शिकायत पूर्व में रैगिंग मसले पर कर चुके थे. जिस पर कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें 5 दिन के लिए रेस्टीकेट भी किया था. अब स्टूडेंट द्वारा सीधा दिल्ली में शिकायत की है. जिस पर एफआईआर प्रबंधन दर्ज करा चुका है और जो होगा कानूनी रूप से सबके सामने होगा.


पीड़ितों ने लगाए ये आरोप
पुलिस के अनुसार छात्रों ने अपने कुछ सीनियर्स पर तकिए के साथ यौन संबंध बनाने और अपनी सहपाठियों के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है. मामला तब सामने आया जब छात्रों ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की एंटी रैगिंग हेल्पलाइन पर शिकायत की. सीनियर्स द्वारा धमकाने के बाद जूनियर छात्रों ने यूजीसी एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन पर कॉल किया. पीड़ितों ने आरोप लगाया कि  सीनियर्स ने उन्हें तकिए के साथ  यौन क्रिया करने के लिए मजबूर किया और फिर उन्हें किसी भी महिला बैच साथी का नाम चुनने और उसके बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए कहा. मेडिकल कॉलेज के एंटी रैगिंग सेल ने प्रारंभिक जांच की और आरोपों को सही पाया. इसके बाद मामले को उचित कार्रवाई के लिए पुलिस को सौंप दिया गया.



जांच कर रहे हैं: थाना प्रभारी
संयोगितागंज थाना प्रभारी तहजीब काजी ने पूरे मामले की जानकारी मीडिया को देते हुए सीनियर छात्रों द्वारा जूनियर छात्रों के साथ रैगिंग करने के मामले में कहा कि शिकायत के बाद 8 से 10 अज्ञात छात्रों पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. पूरे मामले की जांच होगी. हमने एमजीएम कॉलेज की शिकायत पर रैगिंग का मामला दर्ज किया था. इसकी जांच में नेचुरल सेक्स का मामला सामने आया है, लेकिन कोई सबूत नहीं है,हम जांच कर रहे हैं.


पूरे घटनाक्रम में चौंकाने वाली बात ये है कि पीड़ित छात्रों ने शिकायत एमजीएम को न करते हुए दिल्ली में एंटी रैगिंग कमेटी को भेजी. वहां से ईमेल से एमजीएम प्रबंधन को सूचना मिली और फिर ताबड़तोड़ डीन डॉक्टर संजय दीक्षित के निर्देश पर एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक हुई थी.