Indore orphanage Death:  मध्य प्रदेश के इंदौर में अनाथालय में मानसिक रूप से दिव्यांग कई बच्चों की मौत से सनसनी फैल गई है. 3 दिन में पांच बच्चों की मौत का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है. जिसके बाद कलेक्टर द्वारा गठित विशेष टीम मामले की जांच कर रही है. वहीं, अनाथालय के 47 बच्चे अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं. इंदौर के युगपुरुष धाम आश्रम, जो मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों का अनाथालय है, उसमें बीते 3 दिनों में पांच बच्चों की मौत हो गई है. इन पांचों की मौत का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है. वहीं, पूरे मामले में इंदौर कलेक्टर ने विशेष दल गठित कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है और बता दें कि अनाथ आश्रम के अभी भी 47 बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है.


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जानें पूरा मामला?
इंदौर में युगपुरुष धाम आश्रम में तीन दिनों में हुई पांच बच्चों की मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया. यह आश्रम पिछले 17 साल से संचालित किया जा रहा है और इसमें पिछले 17 सालों में इस तरह की कोई खबर नहीं आई थी. परंतु 30 जून की देर रात को एक बच्चे की मौत हुई, जिसका कारण अनाथालय के प्रबंधक ने मिर्गी का होना बताया और उसकी मौत को स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन से छुपा कर रखा गया. उसके बाद जो अनाथालय में मौत का सिलसिला शुरू हुआ, वह बढ़ते-बढ़ते 5 तक पहुंच गया. जैसे ही सूचना प्रशासन को लगी, मौके पर तमाम अधिकारी पहुंचे और तुरंत ही अनाथालय की जांच के लिए समिति गठित कर जांच शुरू की. वहीं, अनाथालय पहुंचकर स्वास्थ्य विभाग ने अनाथालय में रहने वाले सभी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया. जिसमें अभी तक लगभग 47 बच्चे अस्वस्थ पाए गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है. इस पूरे मामले में कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं जिनका जवाब जानना जरूरी है.


सवाल नंबर 1:


पांचों बच्चों की मौत की क्या रही वजह? क्योंकि पहले बच्चे की मौत को 72 घंटे से ज्यादा का समय हो गया, परंतु मौत का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ.


सवाल नंबर 2:
जब पहले बच्चे की मौत हुई तो अनाथालय के प्रबंधन ने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन से मौत की बात क्यों छुपाई?


सवाल नंबर 3:


क्या बच्चों को उपलब्ध सीटों की संख्या से ज्यादा रखा गया था? जिस वजह से यह स्थिति बनी.


सवाल नंबर 4:


कहां गई अधिकारियों की संवेदनशीलता? क्योंकि कलेक्टर द्वारा गठित की गई 5 बच्चों की मौत पर एसडीएम के अधीन एक जांच दल बनाया गया था. जिसमें एसडीएम साहब का अनाथालय की प्रबंधक के साथ हंसते हुए वीडियो वायरल हुआ. हालांकि इसके बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए कलेक्टर ने उन्हें अपने पद से हटा दिया.



बता दें कि ऐसे कई बड़े सवाल हैं जो इस पूरे घटनाक्रम के इर्दगिर्द घूम रहे हैं और जिनका जवाब आना जरूरी है. इस अनाथालय में पूरे प्रदेश के अलग-अलग जिलों से मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को लाया जाता था. इसी बीच, जी मीडिया की टीम को एक मृतक बच्चे की मां भी मिली जो इटारसी की रहने वाली हैं और उन्होंने बताया कि उनके बच्चे को सामाजिक संस्था द्वारा इटारसी से मानसिक रूप से दिव्यांग बताते हुए यहां लाया गया था और तभी से इस जगह का उन्हें पता भी नहीं दिया गया और अब उन्हें उनके बच्चे के मरने की जानकारी दी गई.


वहीं, इस पूरे मामले में अभी तक 47 बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं. जिनका इलाज किया जा रहा है और यह आंकड़ा बढ़ने की संभावना आगे भी जताई जा रही है. बच्चों की मौत का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ, हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने आश्रम में रहने वाले समस्त बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण जरूर कर लिया है.


इस पूरे मामले में शासन-प्रशासन अब सचेत होकर काम करते हुए दिख रहे हैं. पर बड़ा सवाल यही है कि क्या यह कदम पहले बच्चे की मौत के बाद उठाए जाते तो क्या बाकी के 4 बच्चों की जान बचाई जा सकती थी? क्या वजह रही जिसकी वजह से पहले बच्चे की मौत अनाथालय ने छुपाई? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब आना जरूरी है.


रिपोर्ट: शिव मोहन शर्मा (इंदौर)