madhya pradesh news-मध्यप्रदेश में लगातार डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ रहे हैं. एक बार फिर इंदौर में डिजिटल अरेस्ट का नया मामला सामने आया है, जहां साइबर ठगों ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर को अपना शिकार बनाया. पीड़ित की मंगेतर ने थाने में पहुंचकर पुलिस को इसकी जानकारी दी, पुलिस ने बिना समय गवांए इंजीनियर को ठगी का शिकार होने से बचाया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 


सॉफ्टवेयर इंजीनियर तीन दिनों से ठगों के जाल में फंसा हुआ था. 


 


क्या है पूरा मामला


बुधवार शाम को करीब 7:40  बजे युवती थाने पहुंचकर शिकायत करती है कि उसका मंगेतर एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता है, लेकिन दोपहर बाद से बिना किसी को बताए वह अपने ऑफिस से गायब हो गया है. पुलिस ने मंगेसर द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर उसका फोन ट्रेस किया. लोकेशन ऑफिस से कुछ दूरी पर एक होटल में निकली. टीआई और अन्य पुलिस के जवान जब होटल पहुंचे तब सॉफ्टवेयर इंजीनियर वीडियो कॉल पर किसी से बात कर रहा था. पुलिस को देखकर उसने अपना फोन छिपा दिया. 


 


बुरी तरह से डरा था पीड़ित 


पुलिस को देखकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बुरी तरह से डर गया. जिसके बाद उससे पूछा गया तो उसने बताया कि उसकी बात मुंबई के पुलिस कमिश्नर से चल रही हैं, आप उनसे बात नहीं कर पाएंगे. पुलिस ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर को समझाया और मंगेतर से मुलाकात कराई गई. इसके बाद उसे पता चला की वह डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो गया था. 


 


फर्जी नोटस भेज डराया


इंजीनियर धीरेंद्र शर्मा ने बताया कि बुधवार को उसके पास दिल्ली के नंबर से फोन आया. फोन पर उसे बताया गया कि उसके मोबाइल पर ट्राई ने कई अवैधानिक गतिविधि को ट्रेस किया है. कुछ देर बाद खुद को अधिकारी बताने वाले ठग ने मुंबई कमिश्वर को कॉल ट्रांसफर करने का कहकर अन्य ठग से बात कराई. धीरेंद्र ने बताया कि मुंबई कमिश्वर बनकर ठग ने उसे फर्जी लीगल नोटिस भेजे और उसे डराकर किसी एकांत जगह पर जाने को कहा. इसके बाद डर से इंजीनियर ने होटल में कमरा लिया. 


 


नहीं हो पाई ठगी


ठग ने एक के बाद एक कई फर्जी नोटिस धीरेंद्र को भेजे. सॉफ्ट वेयर इंजीनियर के बैंक खाते में लगभग 26 लाख रुपये थे, जो कुछ समय में ठग अपने खातों में ट्रांसफर करवा लेता. लेकिन पुलिस ने सही समय पर पहुंचकर धीरेंद्र को ठगी का शिकार होने से बचा लिया.