पुरी की तरह MP में भी है जगन्नाथ का प्राचीन मंदिर, दुर्लभ प्रतिमा में सोने की पहचान करने की शक्ति
वैसे तो दुनिया में पुरी का जगन्नाथ मंदिर अपनी कई खासियतों के कारण फेमस है. यहां की रथयात्रा भारत ही नहीं, विदेशों में पॉपुलर है. ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर मध्य प्रदेश के रतलाम में भी है जहां भगवान की काले पत्थर की दुर्लभ प्रतिमाएं मंदिर में स्थापित हैं. इस मंदिर भी तीन साल बाद इस बार विशाल रथ यात्रा निकाली जाएगी. कोरोना के कारण दो साल से यहां रथ यात्रा बंद कर रखी थी.
रतलाम/चंद्रशेखर सोलंकी: 1 जुलाई को हिन्दू परम्परा में जगन्नाथ यात्रा का बड़ा महत्त्वपूर्ण दिन है. इस दिन ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ की यात्रा में शामिल होने देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचेंगे और भगवान जगन्नाथ का रथ अपने हाथों से खींच कर जीवन के कष्टों से मुक्ति पाते हैं.
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एमपी के रतलाम में भी प्राचीन जगन्नाथ मंदिर
भगवान जगन्नाथ जी का एक बड़ा प्राचीन मंदिर मध्य प्रदेश के रतलाम में भी स्थित है जो कि ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर की तरह ही बना है. यह मंदिर भी जमीन से काफी ऊपर है और लंबी सीढ़ियों से चढ़कर भगवान के दर्शन होते हैं. यहां भी पूरे विधि-विधान और आस्था-श्रद्धा के साथ रस्सियों से खींचते हुए रथ यात्रा निकाली जाती है. पिछले 3 साल से कोरोना के कारण रतलाम स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा भव्य रूप में नहीं निकाली जा सकी थी. इस बार समिति के सदस्यों ने भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की पूरी तैयारी की है और 3 साल बाद भगवान जगन्नाथ की भव्य विशाल रथ यात्रा शहर में निकाली जाएगी.
प्रतिमा में है सोने की पहचान करने की शक्ति
रतलाम के प्राचीन राजमहल के पास भगवान जगन्नाथ का प्राचीन विशाल मंदिर मौजूद है. यह मंदिर इतना पुराना है कि इसे किसने निर्माण करवाया, इसकी जानकारी तो नहीं है लेकिन मंदिर में स्थित काले पत्थर की प्राचीन, अद्भुत और दुर्लभ प्रतिमा से अंदाज़ा लगाया जाता है कि यह करीब 350 साल पुराना मंदिर है. बताया जाता है कि मंदिर में स्थित भगवान जगनाथ की प्रतिमा जिस दुर्लभ पत्थर से बनी है, उसमें सोने की पहचान करने की शक्ति है.
मंदिर में अन्य प्रतिमाएं भी हैं खास
इस प्राचीन मन्दिर में भगवान जगन्नाथ के दोनों ओर बलराम और सुभद्रा की प्राचीन प्रतिमाएं भी हैं. मंदिर के बाहर गणेश व हनुमानजी की प्रतिमा लोगों को खूब आकर्षित करती है. गणेश जी की मूर्ति के पीछे सर्प और हनुमानजी की मूर्ति में शेर का चेहरा दर्शाया गया है.
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3 साल बाद निकलेगी रथ यात्रा
मंदिर से हर साल निकलने वाली रथ यात्रा में खासतौर पर काष्ट (एक तरह की विशेष लकड़ी) की मूर्तियां लाई जाती हैं. यह मूर्तियां ओडिशा के पुरी से ही मंगवाई गई हैं. इन मूर्तियों को ही रथ में रखकर, रस्सियों से खींचते है और यात्रा निकाली जाती है. 3 साल बाद अब इस साल यात्रा का भव्य विशाल स्वरूप देखने को मिलेगा. हर साल श्रद्धालुओं में रस्सी से रथ खींचने की परंपरा को लेकर काफी उत्साह रहता है. शहर के बीच घनी आबादी में होने से पूरे साल यहां श्रद्धालु आते रहते हैं. यहां पूरे साल आयोजन भी होते रहते हैं.