जनसंघ के स्थापना दिवस पर Madhya Pradesh में `दीपक से खिलेगा कमल`, 70 साल पहले कैसे हुआ था गठन, पढ़िए
जनसंघ के 70वें स्थापना दिवस (Jana Sangh foundation day) पर आज मध्यप्रदेश बीजेपी ने कार्यक्रम आयोजित किए हैं. इसमें `दीप कमल रंगोली“ मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेगा. इस दौरान बीजेपी (BJP) सभी कार्यालयों में दीप सजाकर जनसंघ का स्थापना दिवस मनाएगी.
भोपाल: जनसंघ के 70वें स्थापना दिवस (Jana Sangh foundation day) पर आज मध्यप्रदेश बीजेपी ने कार्यक्रम आयोजित किए हैं. इसमें "दीप कमल रंगोली“ मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेगा. इस दौरान बीजेपी (BJP) सभी कार्यालयों में दीप सजाकर जनसंघ का स्थापना दिवस मनाएगी. सभी मंडलों में दीपक से कमल तक थीम पर कार्यक्रम होंगे. उपचुनाव (By Election) वाले विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र के प्रत्येक मंडल में से तीन स्थानों पर कार्यक्रम होंगे.
उप चुनाव वाले क्षेत्रों में धूमधाम से मनेगा
जनसंघ के स्थापना दिवस के मौके पर सार्वजनिक स्थानों, चौक चौराहो और प्रमुख बाजारों में पार्टी पदाधिकारी और महिला मोर्चा पदाधिकारी कमल की आकृति की रंगोली बनाकर 51 दीप प्रज्जवलित करेंगी. कार्यक्रम में वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का अभिनंदन और सम्मान भी किया जाएगा. बीजेपी मध्यप्रदेश में उप चुनाव वाले क्षेत्रों के सभी मंडलों में कार्यक्रमों को धूमधाम से मनाने की तैयारी में है.
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70 साल पहले कैसे हुआ था गठन
मौजूदा भारतीय जनता पार्टी (BJP) जिस विचारधारा को लेकर चल रही है, उसकी नींव भारतीय जनसंध ने ही रखी थी. तो इसका अतीत जानना जरूरी है. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Syama Prasad Mukherjee) भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष थे, जिसके गठन में आरएसएस की भूमिका सबसे अहम रही थी. ये किसी से छुपा नहीं है कि संघ को हमेशा से नेहरूवाद स्वीकार नहीं था.
महात्मा गांधी की हत्या के बाद लगा प्रतिबंध
आरएसएस को महात्मा गांधी की हत्या के बाद उस पर लगा प्रतिबंध रास नहीं आ रहा था. उस दौरान उनके कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जाने लगा, तब उनका पक्ष लेने के लिए कोई राजनीतिक दल खड़ा नहीं दिखाई दिया. ये दर्द आरएसएस के दिल में बैठ गया. इसके बाद 1949 में जब आरएसएस से प्रतिबंध हटा तो वो आगे के रोडमैप पर विचार करने लगा. संघ का एक वर्ग चाहता था कि वो खुद राजनीति में आ जाएं. लेकिन सभी को ये मंजूर नहीं था. ऐसे में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक नए राजनीतिक दल की स्थापना के विचार को समर्थन मिला.
उस समय भारत और पाकिस्तान के बीच नेहरू-लियाकत समझौते से नाराज डॉ मुखर्जी नेहरू के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे चुके थे. लंबे समय तक चले प्रयासों के बाद जनसंघ को औपचारिक रूप से 21 अक्टूबर, 1951 को एक राष्ट्रीय सम्मेलन में अखिल भारतीय राजनीतिक पार्टी की तरह सामने लाया गया. एसा आज से ठीक 70 साल पहले एक पार्टी का गठन हुआ, नाम था जनसंघ.
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