Raigaon Assembly Seat Political Equation: साल के अंत में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव (MP Assembly Election) होने वाले हैं और चुनाव के मद्देनजर सभी पार्टियों की कोशिश अपने आप को मजबूत करने की है. इसी क्रम में विंध्य के सतना जिले की बात करें तो विधानसभा चुनाव के पहले यहां पर भारतीय जनता पार्टी को बड़ी सफलता मिली है. दरअसल, सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट से पूर्व बीएसपी विधायक और कांग्रेस नेत्री उषा चौधरी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं तो चलिए बताते हैं कि उनके शामिल होने से यहां के समीकरण कैसे बदल गए हैं? 


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कौन हैं उषा चौधरी?
गौरतलब है कि विंध्य की बात करें तो यहां पर बीएसपी का थोड़ा बहुत वोट बैंक है और विधानसभा चुनाव में यहां पर बीएसपी के कुछ विधायक जरूर चुनकर आते हैं. साथ ही बीएसपी दूसरी पार्टी का खेल भी बिगाड़ देती है.  वर्ष 2013 में बसपा के टिकट से इस सीट से विधायक चुनी गईं उषा चौधरी ने चुनाव में जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष पुष्पराज बागरी को हराया था. बता दें कि पुष्पराज बागरी पूर्व मंत्री और दिवंगत विधायक जुगुल किशोर बागरी के बेटे हैं और वह उषा चौधरी से करीब 5 हजार मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे. 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में उषा चौधरी ने फिर से बसपा के टिकट से चुनाव लड़ा था. हालांकि, पिछले चुनाव में वह अपनी सीट बरकरार नहीं रख सकीं और तीसरे नंबर पर रहीं.


जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद यह सीट कांग्रेस के पाले में आ गई थी. दरअसल, 2021 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा ने चुनाव जीता था. खास बात यह रही थी कि बीजेपी ने जुगल किशोर के बेटे को टिकट देने के बजाय प्रतिमा बागरी को टिकट दिया था. आपको बता दें कि प्रबल दावेदार माने जा रहे जुगल किशोर के निधन के बाद उनके बड़े बेटे पुष्पराज बागरी को टिकट नहीं मिला था और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर प्रतिमा बागरी का नाम सामने आया था और इस घोषणा ने सभी को चौंका दिया था. 


अब बसपा की पूर्व विधायक उषा चौधरी के भाजपा में शामिल होने से विधानसभा में पार्टी मजबूत हुई है, लेकिन यहां के हालात बदल गए हैं. अगले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी टिकट के लिए कई दावेदार भी सामने आएंगे, अब यह दिलचस्प होगा कि पार्टी इस विधानसभा से किसे उम्मीदवार बनाती है.