Chhindwara Lok Sabha: मध्य प्रदेश में 2023 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में लड़ा था, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को करारी हार मिली थी. चुनाव के बाद कमलनाथ विदेश यात्रा पर चले गए थे, लेकिन जब लौटकर राजनीति में सक्रिय हुए तो कमलनाथ थोड़े बदले-बदले तो नजर आए. इस बीच सियासी चर्चा चली कि वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. खास बात यह है कि कमलनाथ ने खुलकर इस बात अब तक खंडन नहीं किया है, ऐसे में शनिवार शाम को जब वह छिंदवाड़ा से अचानक दिल्ली पहुंचे तो अटकलों का बाजार और गर्म हो गया. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कमलनाथ अगर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाते हैं तो इसके पीछे 2019 का छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव भी हो सकता है. जिसकी कई वजह हो सकती हैं. 


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छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की सबसे ज्यादा चर्चा 


दरअसल, कमलनाथ के कांग्रेस छोड़ने की अटकलों के बीच छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है. कमलनाथ इस सीट से 9 बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं, जबकि फिलहाल उनके बेटे नकुलनाथ इस सीट कांग्रेस के सांसद हैं, लेकिन 2019 का लोकसभा चुनाव कही न कही कमलनाथ और नकुलनाथ के जहन में जरूर होगा, बीजेपी भले ही 2019 में भी कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा को नहीं भेद पाई थी, लेकिन वह इस काम के बहुत करीब पहुंच गई थी. 


मात्र 37,536 वोटों से मिली थी जीत 


कमलनाथ ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से अपने बेटे नकुलनाथ को प्रत्याशी बनवाकर उनकी राजनीतिक एंट्री कराई. कमलनाथ तब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और राज्य में बीजेपी की सरकार थी. ऐसे में नकुलनाथ की जीत आसान मानी जा रही थी, लेकिन नतीजों ने सबको चौंका दिया. क्योंकि कांग्रेस पूरा जोर लगाने के बाद भी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट महज 37,536 वोटों से जीत पाई थी. लोकसभा चुनाव के लिहाज से यह मार्जिन बड़ा नहीं होता है. बीजेपी ने यहां पूर्व विधायक नाथन शाह कवरेती को चुनाव लड़ाया था, जिन्होंने नकुलनाथ को कड़ी टक्कर दी थी. ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नकुलनाथ 2019 का लोकसभा चुनाव तो जीत गए थे, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत को लेकर वह पूरी तरह से आश्वस्त नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में कमलनाथ को लेकर चल रही अटकलों के पीछे जानकार यह वजह भी मान रहे हैं. 


आदिवासी वर्ग पर बीजेपी का फोकस 


बीजेपी लंबे समय से आदिवासी वर्ग पर फोकस बनाए हुए हैं. छिंदवाड़ा लोकसभा सीट में आने वाली सात में से तीन विधानसभा सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, ऐसे में इस सीट पर आदिवासी वर्ग की सीधी पकड़ मानी जाती है, जिसका असर पिछले चुनाव में दिखा था, बीजेपी छिंदवाड़ा में कई प्रयोग कर चुकी है, लेकिन आदिवासी नेता नाथन शाह कवरेती को नकुलनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ाने की बीजेपी की रणनीति बहुत हद तक कामयाब रही थी, क्योंकि चुनाव में हार और जीत का मार्जिन बहुत हद तक कम हो गया था. ऐसे में बीजेपी ने पूरा फोकस इस सीट पर बनाया हुआ है. खास बात यह है खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का दौरा कर चुके हैं, जबकि कैलाश विजयवर्गीय को इस सीट का प्रभार सौंपा गया है, जो चुनावी जोड़तोड़ में माहिर माने जाते हैं. ऐसे में बीजेपी की सक्रियता को देखते हुए भी कमलनाथ और नकुलनाथ एक्टिव दिख रहे हैं. 


खास बात यह भी है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सातों विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि छिंदवाड़ा शहर में महापौर और निगम परिषद भी कांग्रेस की है. लेकिन निकाय चुनाव में आदिवासी बहुल की नगर परिषदों में कांग्रेस को झटका लगा है, ऐसे में कमलनाथ की नजर में 2024 का लोकसभा चुनाव सबसे अहम माना जा रहा है. 


छिंदवाड़ा के विकास की कही बात 


खास बात यह है कि कमलनाथ ने शनिवार को दिल्ली रवाना होने से पहले छिंदवाड़ा में जो आखिरी भाषण दिया था, उसमें उन्होंने यही बात कही थी कि छिंदवाड़ा का विकास होना बहुत जरूरी है, छिंदवाड़ा जिले का विकास नहीं रुकना चाहिए. ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कमलनाथ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर अपने परिवार की पकड़ किसी भी कीमत में कमजोर नहीं करना चाहते हैं. ऐसे में उनकी बीजेपी में जाने की अटकलें सबसे ज्यादा चल रही है. क्योंकि 2023 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस कमेटी में उनकी पकड़ भी कम होती दिखी है. ऐसे में प्रदेश में चल रही सियासी अटकलों के बीच छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की चर्चा भी सबसे चल रही है. 


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