राहुल सिंह राठौड़/ उज्जैन : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Kerala Governor Arif Mohammad Khan) गुरुवार को एक निजी सेवा संगठन के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए महाकाल की नगरी पहुंचे. इस मौके पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शहर के सर्किट हाउस में मीडिया से चर्चा की और केरल सरकार को गिराने के अपने ऊपर लगे आरोपों का बेबाक अंदाज में जवाब दिया.


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मीडिया से चर्चा करते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि आरोपों का क्या है लगते रहते हैं, लेकिन मेरे पास कोई शिकायत आई है और उस शिकायत को लेकर जांच की जा रही है. शिकायत की जांच करना किसी को सरकार गिराना लगता है तो कोई कुछ सोचे. राज्यपाल ने यहां तक कह दिया कि यूनिवर्सिटी से कोई एक व्यक्ति सत्ता में बैठा है तो इसका मतलब यह नहीं कि यूनिवर्सिटी सत्ताधारी लोगों के परिवार वालों को जॉब प्रोवाइड करने के लिए है. यूनिवर्सिटी सिर्फ एकेडमिक के अपॉइंटमेंट के लिए है.



 


दरअसल केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान जिले में सेवा धाम आश्रम में मंगल महोत्सव के अंतर्गत राष्ट्रीय सेवा-मित्र सम्मेलन के आयोजन में भाग लेने दोपहर 12 बजे करीब पहुंचे थे. जहां वे शहर में स्थित विश्राम भवन में रुके और मीडिया से बातचीत में कहा कि आज सेवा धाम जो एक मंदिर ही है. जहां कई लोग रहते हैं.



राज्यपाल ने उन पर सरकार को गिराने के आरोपों को लेकर कहा कि बहुत सारे आरोप लगते रहते हैं. उसका तो कोई कुछ नहीं कर सकता ,लेकिन विश्वविधालय में एक आदमी सत्ता में बैठा है. जिनके 134 नंबर है उनका सिलेक्शन हो गया और जिसको 641, 654, 500 नंबर मिले हैं, उन सबको नजरअंदाज कर दिया गया.  यह एक शिकायत आई है मेरे पास इसको देखने का मतलब है कि सरकार गिराई जा रही है, भाई एक शिकायत है उसकी जांच की जा रही है. सही निकली तो जाहिर सी बात है कि यूनिवर्सिटी इस काम के लिए नहीं है कि यूनिवर्सिटी में बैठे सत्ताधारी लोगों के परिवार वालों को जॉब प्रोवाइड करें . जो एकेडमिक के हैं उन्हें अकादमिक नियुक्तियां दी जाएंगी और शिकायत तथ्यहीन है तो कोई बात ही नहीं है.


क्या है मामला जानिए
दरअसल केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के निजी सचिव के.के राजेश की पत्नी प्रिया वर्गीस की कन्नूर विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति पर रोक लगा दी है. राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति (चांसलर) हैं और उन्होंने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए नियुक्ति पर रोक लगाई है.उन्हें एक शिकायत मिली है.राज्यपाल का ये कदम पिनाराई विजयन सरकार के लिए एक झटका माना जा रहा है और चर्चा है कि राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच अनबन बढ़ सकती है.