खंडवा में 4 पत्रकारों को जेल, डॉक्टर को किडनैप कर मांगी थी फिरौती, जानिए पूरा मामला
MP News: मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में सोमवार को चार कथित पत्रकारों को जिला कोर्ट ने जेल भेजने के आदेश दिए. इन पत्रकारों पर क्लिनिक संचालक को किडनैप कर मारपीट और ब्लैकमेलिंग करने का आरोप है.
प्रमोद सिन्हा/खंडवा: मध्यप्रदेश के खंडवा (Khandwa News) जिले में सोमवार को चार कथित पत्रकारों को जिला कोर्ट ने जेल भेजने के आदेश दिए. इन पत्रकारों पर क्लिनिक संचालक को किडनैप कर मारपीट और ब्लैकमेलिंग करने का आरोप है. ये पूरा मामला साल 2021 का था. सुनवाई के दौरान एक पत्रकार की न्यायालय में तबियत बिगड़ने की वजह से उसे पुलिस सुरक्षा में अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि बाकी तीन को जेल भेज दिया गया है.
बता दें कि फरियादी डॉक्टर सौरभ सोनी ने इस पूरे मामले की खंडवा कोतवाली थाने में रिपोर्ट की थी. जिसके बाद से ये सब फरार हो गए थे. बाद में हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट से इनको जमानत पर राहत मिल गई थी, लेकिन पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने इनकी राहत पर रोक हटा दी. जिसके बाद लगभग 2 साल से फरार इन पत्रकारों ने कोतवाली पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. पुलिस ने इन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से इन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजने के आदेश दे दिए.
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जानिए आखिर क्या था पूरा मामला
दरअसल डॉ. सौरभ सोनी द्वारा की गई शिकायत के मुताबिक पत्रकार देवेंद्र जायसवाल, सदाकत पठान, अजीत लाड़ और जयराज पिल्ले ने 22 जुलाई की शाम उनके यहां का करने वाले कमलेश के मोबाइल से फोन कर कोर्ट रेस्ट हाउस के पीछे बुलाया. फिर जब वो वहां पहुंचे तो उनके साथ आरोपियों ने मारपीट की, फिर डॉक्टर और उनके कर्मचारी मोहसिन और कमलेश को बंधक बनाकर भंडारिया रोड स्थित स्कूल के पीछे ले गए. यहां बच्चे की खरीद-फरोख्त में फंसाने की धमकी देकर 50 लाख रुपये की डिमांड की, जिसके बाद पूरा सौदा 20 लाख रुपये में तय हुआ. उसके बाद डॉक्टर और उनके कर्मचारी को छोड़ा.
सुप्रीम कोर्ट ने की थी विशेष टिप्पणी
हाल ही में डॉक्टर का अपहरण कर फिरौती मांगने के मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने भी विशेष टिप्पणी की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ''पत्रकार होने का मतलब यह नहीं कि आपको कानून हाथ में लेने का लाइसेंस मिल गया हो.'' इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट की युगल पीठ में जज एएस बोपन्ना और एमएम सुरेश ने 4 आरोपी पत्रकारों की जमानत राहत को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया.