Kuno National Park: श्योपुर में जमीन का भाव हुआ आधा, जानिए वजह
MP News: श्युपर कुनो नेशनल पार्क के किनार चीतल प्रोजक्ट के चलते जमीन के भाव बढ़ गए. लेकिन एक के बाद एक करके लगातार 6 चीतो की मौत से यहां आने वाले व्यापारी भागने लगे हैं और जमीन के भाव फिर कम हो गए हैं.
अजय राठौर/श्योपुर (Sheopur) के कुनो नेशनल पार्क ( Kuno National Park) में 17 सितंबर को देश की धरती पर 75 सालों के बाद एक बार फिर से लोटे चीतो ने श्योपुर के लोगो में विकास की नई उम्मीद जगाई. 17 सितंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अपने जन्म दिन के मौके पर मध्य प्रदेश के श्योपुर में बनकर तयार हुई देश की पहली चीता सेंचुरी कुनो में नामिबिया के 8 चीतो को छोड़कर बड़ी सौगात दी. नामिबिया के चीतो के आने से गुलजार हुए कुनो नेशनल पार्क के आस पास के ग्रामीण इलाको की जमीनों की कीमतें रातों रात आसमान की उचाईयों पर पहुंच गई. इको लेकर स्थानीय लोगों में खुशी बढ़ गी.
अचानक बढ़ी थी जमीन की कीमत
चीतो के आने से पहले किसान की जिस जमीन की कीमत 2 से 3 लाख रूप बीघा थी उसके भाव 10 गुना तक बढ़ जाने से जमीनों की कीमतें 25 से 30 लाख रूप बीघा तक पहुंच गई थी. कुनो में चीतो का दीदार करने आने वाले पर्यटकों के आने की उम्मीद के चलते अगरा दिल्ली मुंबई हरियाणा पंजाब के व्यपारियों ने होटल और रेस्टोरेंट बनाने के लिए सेसईपुरा और कुनो के आस पास के बसे गांव में लाखो करोड़ों रुपए की जमीनों के सौदे किए गए.
लेकिन चीता प्रोजेक्ट पर काल के मंडराते हुए संकट के बादलों के बीच दो महीनो में एक के बाद एक लगभग 6 चीतो की मौत हो गई. जिसके बाद इलाके की महंगी हुई जमीनों की कीमतों के भाव में अचानक से गिरावट आने लगी है. चीता प्रोजेक्ट के शुरुआत के दिनो से महंगी हुई जमीन की आसमान छूती कीमते अब अचानक घट जाने से ग्रामीण और किसान दुखी हो गए हैं.
व्यापारी नहीं ले रहे जमीन
कुनो के आस पास के गावों में महंगी जमीनों की कीमतें अचानक आधे दामों पर पहुचनें के कारण को तलाशने पर सेसईपुरा इलाके के रहने वाले लोगों ने इसे 6 चीतो की मौत से जोड़ते हुए बताया. उन्होंने कहा कि 25 मई को चीतो की मौत के बाद कई व्यपारियों ने जमीन खरीदने को लेकर हुए अनबंध को रद्द तक कर दिया है. वहीं दूसरी ओर चीतो की मौत के बाद उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट करने को लेकर चल रही चर्चाओं से कुछ खरीदार लोग अब दूरी बनाने लगे हैं. ऐसे में अब उनकी जमीनों की कीमतें आधी या उससे भी कम रेट तक पहुंच गई है. इन सब बातों के बीच गांव में होटल और रिसोर्ट बनाने वाले कारोबारियों की रुचि घटने के साथ पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
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