Jamiat Ulema-e-Hind Controversy: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें अधिवेशन के दौरान मंच से उतरने के बाद जैन धर्मगुरु लोकेश मुनि (Jain Dharmguru Lokesh Muni) सुर्खियों में आ गए हैं. तब से जैन मुनि खबरों में बने हुए हैं. ज़ी मीडिया से बात करते हुए जैन मुनि ने बताया कि जो कार्यक्रम हुआ था उसकी पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी और उसका मकसद यह था कि सभी संतों ने मदनी साहब के बयान का समर्थन किया है.


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लोकेश मुनि महाराज ने बताया कि जो घटना वहां घटी थीं उसकी पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थीं, तभी जब हमने अपनी स्पीच खत्म की और छोटे मदनी साहब को एक साथ मंच पर हाथ उठाने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि थोड़ा ठहर जाओ यानी मदनी साहब का जब स्पीच खत्म हो जाए और तब सारे के सारे संत हाथ उठाए.जिससे कि विश्व में एक मैसेज जाए किे मदनी साहब के वक्तव्य का हमने समर्थन किया है, लेकिन मैं यह कहूंगा कि मैंने उनको पटकथा की पलीता लगा दिया. यह पहले से ही स्क्रिप्ट लिख कर के लाए थे तय हो चुका था.


इसलिए मंच से किया विरोध
कार्यक्रम में मंच से विरोध करने के कारण बताते हुए लोकेश मुनि ने कहा कि अगर मैं मंच से विरोध नहीं करता तो हमारी संस्कृति और आस्था के केंद्र प्रभु श्री राम और शिव के बारे में सम्मान में गुस्ताखी थी, हमारी और प्राचीन परंपराएं जैन सिख की शहादत को नजरअंदाज किया जा रहा था, मन में उनके खिलाफ कोई विद्वेष नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि आज देश भर के लोग आकर के सम्मानित किए यह सम्मान प्रभु श्री राम का है. यह सम्मान महावीर स्वामी का है.


मेरी सुरक्षा स्वयं कर रहे हैं प्रभु श्रीराम 
वहीं अपनी सुरक्षा को लेकर बड़ी बात कहते हुए जैन मुनि ने कहा कि मेरे पास जब सुरक्षा के लिए प्रस्ताव आया तो मैंने विनम्रता से उसे अस्वीकार कर दिया क्योंकि मेरी सुरक्षा तो स्वयं प्रभु श्रीराम कर रहे हैं. आगे एक्शन लेंगे विचार हो रहा है. बैठके हो रही हैं. गौरतलब है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन के दौरान मौलाना अरशद मदनी के विवादित बयान के बाद जैन मुनि मंच छोड़कर चले गए थे.


रिपोर्ट: राहुल मिश्रा (दिल्ली)