Ratapani Tiger Reserve News: मध्य प्रदेश को जल्द ही सातवां टाइगर रिजर्व मिलने वाला है. इसके लिए विभागों की तरफ से मंजूरी मिल गई और महीने भर में टाइगर रिजर्व बनाने कि लिए नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा. खास बात यह है कि प्रदेश का यह टाइगर रिजर्व भी राजधानी भोपाल से बिल्कुल लगा होगा, यहां बाघों की संख्या 80 से ज्यादा हो गई है. ऐसे में यहां भी पर्यटकों का जमकर रोमांच होगा. 


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रातापानी अभ्यारण को बनाया जाएगा टाइगर रिजर्व 


दरअसल, प्रदेश के रायसेन जिले में आने वाले रातापानी बाघ अभ्यारण को प्रदेश का सातवां टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा. बुधवार को मुख्य सचिव अनुराग जैन की अध्यक्षता में टाइगर रिजर्व से जुड़े सभी विभागों की बैठक हुई जिसमें यह फैसला लिया गया. इस मीटिंग में वन विभाग ने सभी विभागों के अफसरों को रातापानी टाइगर रिजर्व से जुड़ी जानकारियों को साझा किया. इसके साथ ही सीएस ने वन विभाग को जल्द टाइगर रिजर्व से जुड़ी प्रक्रियाओं को पूरी करने के निर्देश दिए.


1244 वर्ग किलोमीटर में बनेगा टाइगर रिजर्व


वन विभाग ने टाइगर रिजर्व से जुड़ी सभी वैधानिक प्रक्रिया को पूरी करने में 1 महीने का वक्त मांगा है. मध्य प्रदेश अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल ने बताया कि एक महीने के अंदर पूरी प्रक्रिया समाप्त कर ली जाएगी. टाइगर रिजर्व का कूल क्षेत्रफल 1244.518 वर्ग किलोमीटर प्रस्तावित है, जिसमें 763.812 किलोमीटर का कोर क्षेत्र होना होगा और इसमे कोई भी राजस्व वाला इलाका नहीं होगा. अशोक वर्णवाल ने बताया कि टाइगर रिजर्व में कोई भी खेती की जमीनें नहीं होंगी और जहां लोग रहते हैं वो इलाका भी रिजर्व के बनने से प्रभावित नहीं होगा.


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रातापानी है 80 बाघों का घर


वन अधिकारियों के मुताबिक टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में 32 गांव आएंगे, जिनमें 10 गांवों को छोड़कर बाकी के सारे गांवों ने अपनी लिखित सहमती वन विभाग को दे दिया है. वहीं आपको बताते चले कि रातापानी में 80 बाघों का घर है. केंद्र ने 16 साल पहले ही इसे बाघ अभयारण्य बनाने की मंजूरी दे दी थी, लेकिन कई सारी वजहों के कारण यह अब तक बन नहीं पाया था. लेकिन अब मध्य प्रदेश प्रशासन इसको लेकर काफी उस्ताहित दिख रहें हैं. जिससे उम्मीद यहीं है कि महिने भर टाइगर रिजर्व बनने का काम शुरू हो जाएगा.


रातापानी बाघ अभयारण्य की स्थापना 1976 में हुई थी. यह क्षेत्र पहले वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र के रूप में जाना जाता था, लेकिन बाघों की बढ़ती संख्या और उनके संरक्षण की आवश्यकता को देखते हुए इसे बाघ अभयारण्य का दर्जा दिया गया. इस अभयारण्य का नाम 'रातापानी' है जो यहां की स्थानीय नदी "राता" के नाम पर रखा गया है. रातापानी नदी यहां के मध्य भाग से बहती है और इस पूरे क्षेत्र में हरियाली की मुख्य वजह है.


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