Mahakal Lok: राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन। बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में बने महाकाल लोक में एक ऐसी दिवार बनाई गई है, जिसमें बाबा से जुड़ी कहानियों को दर्शाया गया है. इसे पत्थरों पर नक्काशी करने वाले कलाकारों ने बड़े सुंदर तरीके से बनाया है. महाकाल लोक को तैयार करने वाले प्रोजेक्ट मैनेजर के अनुसार उनकी टीम ने महाकाल लोक में अब तक कि सबसे बड़ी म्यूरल वॉल बनाई है, जिसपर शिव को विवाह हेतु मनाने और विवाह पूर्ण होने तक कि कहानी को उकेरा गया है.


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Mahakal Lok: क्या है महाकाल लोक की म्यूरल स्टोन वॉल? जिसे बनने में लग गए 5 साल


बताया जा रहा है कि अब तक सबसे बड़ी वॉल मुम्बई में दादा साहब फाल्के के रूप में देखी गई है, लेकिन दावा है कि महाकाल लोक की वॉल 132 फुट लंबी और 6 फुट चौड़ी है. हमने इसी वॉल के निर्माण को लेकर बात की महाकाल लोक के प्रोजेक्ट मैनेजर कृष्ण मुरारी शर्मा से और जानी म्यूरल वॉल के निर्माण की पूरी कहानी...


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9 माह में 50 कारीगरों ने तैयार किया म्यूरल
प्रोजेक्ट मैनेजर कृष्ण मुरारी शर्मा ने बताया कि हमने अब तक कि सबसे बड़ी म्यूरल वॉल 'महाकाल लोक' में बनाकर तैयार की है, जिसे लिए 9 माह में 50 कारीगरों ने मिलकर तैयार किया है. राजस्थान से मंगावाए इस 132 फुट लंबे व 6 फुट चौड़े म्यूरल पत्थर की खासियत है कि यह 5000वर्ष तक चमकता रहता है. पानी पड़ने से इस पत्थर की चमक ज्यादा दिखाइ देती है. 


म्यूरल में दिखाई गई शिव और माता पार्वती की कहानी
प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि म्यूरल वॉल को कुल 9 सेक्शन में डिवाइड किया गया है और कुल 81 म्यूरल बनाई है, जिसमें शिव को माता पार्वती के साथ मनाने की कहानी से लेकर, शिव बारात, शिव को भस्मी रूप में देख कर मां पार्वती की मां मैना का बेहोंश होना व माता पार्वती का शिव के साथ विवाह के बाद कैलाश पर्वत पहुंचना अंकित किया गया है.


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पांच साल पहले कुछ ऐसे शुरू हुआ काम
प्रोजेक्ट मैनेजर कृष्ण मुरारी शर्मा ने बाताया कि जब वह और उनकी टीम 5 वर्ष पूर्व उज्जैन आई तो उन्होंने दर्शन सुविधा को बेहतर बनाने का सबसे पहले पॉइंट नोट किया, जिसके आधार पर हमने पहले फेज का काम पूरा कर लिया है. इसमें प्रमुख्य बिंदू कुछ ऐसे थे
- आम जन को दर्शन अच्छे से करने को मिले कोई परेशानी न हो
- प्रशासनिक अमले को क्राउड मैनेजमेंट करने में सहूलियत हो
- प्रोजेक्ट से उज्जैन की इकॉनमी को सपोर्ट मिले 


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नई पीढ़ी के लिए शिव की कहानियां पत्थरों पर गढ़ा
प्रोजेक्ट मैनेजर कृष्ण मुरारी शर्मा ने कहा आज की युवा पीढ़ी इतिहास को कम समझती है. सुन कर समझना और देख कर समझने में बहुत फर्क हो जाता है. हमने उन्ही बातों को ध्यान में रखा और इस थीम को तैयार किया. क्योंकि जो चीज देखी भी जाए, सुनी भी जाये और पढ़ी भी जाये उसे भूलना मुश्किल है. युवाओं को हर चीज याद रहे यही कोशिश है.