मध्य प्रदेश में बंद हुई कर्मचारियों की तबादला नीति पर फिर से प्रशासन में अटकलें तेज होती नजर आ रही है. बताया जा रहा है कि मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के बाद सीएम मोहन यादव की मंत्रियों के साथ साधरण चर्चा हुई थी, जिसमें तबादला नीति से प्रतिबंध हटाने का मुद्दा उठाया गया था. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही तबादला नीति पर से रोक हट सकती. मंत्रियों ने सीएम से कहा  कि पिछले दो साल से कर्मचारियों के तबादलों पर रोक लगी हुई है, ऐसे में सभी का मानना है कि प्रशासन और कामकाज के नजरिए से यह जरूरी है कि अब तबादला नीति बनाई जाए और इस पर से रोक हटाई जाए. 


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मध्य प्रदेश में अक्टूबर में हो सकते हैं थोकबंद तबादले 


माना जा रहा है कि अक्टूबर में मध्य प्रदेश में तबादला नीति बहाल की जा सकती है. जिसमें प्रभारी मंत्रियों को अहम अधिकार मिल सकते हैं. यह अधिकार केवल 10 से 15 दिनों के लिए हो सकते हैं. प्रशासनिक सहायकों के जिले के भीतर तबादले करने का अधिकार उनके प्रभारी मंत्रियों को दिया जाएगा. राज्य स्तर पर तबादले विभागीय मंत्री की मंजूरी के बाद होंगे. लेकिन किसी भी हालत में एक विभाग के 20 प्रतिशत से अधिक तबादले नहीं किए जा सकेंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर अक्टूबर में तबादला नीति पर से रोक हटती है तो फिर प्रदेश में थोकबंद तबादले हो सकते हैं. 


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दरअसल, बताया जा रहा है कि तबादला नीति पर से पहले भी रोक हट सकती थी. लेकिन फिलहाल बीजेपी का सदस्यता अभियान तेजी से चल रहा है. ऐसे में अधिकतर मंत्री और विधायक अभियान में व्यस्त नजर आ रहे हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि सदस्यता अभियान का काम पूरा हो जाने के बाद अक्टूबर के महीने में तबादला नीति पर से रोक हटा दी जाएगी. जिसके बाद अक्टूबर के माह से अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर शुरू हो जाएंगे. जिसके बाद अधिकतर कर्मचारियों को उनके मनमुताबिक तबादला मिल जाएगा. 


प्रभारी मंत्रियों के पास रहेगा पॉवर 


खास बात यह है कि इस बार की ट्रांसफर पॉलिसी में जिले के प्रभारी मंत्रियों के पास पॉवर रहेंगे. मोहन सरकार ने अगस्त के महीने में ही मंत्रियों को उनके जिले के प्रभार बांटे थे. ऐसे में जिले के प्रभार बंटने के बाद से ही ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर भी अटकलें शुरू हो गई थी. 


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