Chitrakoot Vidhan Sabha Seat: सतना जिले की चित्रकूट विधानसभा सीट चुनाव के लिहाज से एक महत्वपूर्ण सीट है. वर्तमान में यहां पर कांग्रेस के नीलांशु चतुर्वेदी विधायक हैं. इस सीट पर अधिकतर बार जनता ने कांग्रेस पर ही विश्वास दिखाया हैं.  इस बार की खास बात ये है कि भाजपा ने फिर से सुरेंद्र सिंह गहरवार पर विश्वास दिखाया हैं.  चित्रकूट विधानसभा के परिणाम किसके पक्ष में जाएंगे ये तो मतदान होने के बाद ही चलेगा.


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चित्रकूट का जातीय समीकरण


यह विधानसभा सीट ब्राह्मण बहुल है. यहां पर करीब 58 हजार से ज्यादा ब्राह्मण हैं. उसके बाद करीब 53 हजार हरिजन-आदिवासी वोटर्स हैं, क्षत्रिय समाज के करीब 7 हजार वोटर्स हैं. यहां के मतदाता जातीय हिसाब को तवज्जों नहीं देते है. हम ऐसा इसीलिए कह रहे है क्योंकि जिस जाति की मतदाता संख्या बहुत कम है, उस जाति का विधायक सबसे ज्यादा बार और वहीं जो जाति बाहुल्य मतदाता स्थिति में हैं वो विधायक बनाने में पीछे रही है. आकड़ों पर ध्यान यहां से सबसे ज्यादा 6 बार क्षत्रिय समाज से विधायक बना है. उसके बाद 4 बार ब्राह्मण समाज से और 2 बार हरिजन समाज से बना हैं. 
 
चित्रकूट का राजनीतिक इतिहास


2018 में कांग्रेस के नीलांशु चतुर्वेदी 
2013 में कांग्रेस के प्रेम सिंह
2008 में बीजेपी के सुरेंद्र सिंह गहरवार 
2003 में कांग्रेस के प्रेम सिंह 
1998 में कांग्रेस के प्रेम सिंह 
1993 में बीएसपी के गणेश 
1990 में जनता दल के रामनंद सिंह 
1985 में कांग्रेस के रामचंद्र बाजपेयी 
1980 में कांग्रेस के रामचंद्र बाजपेयी 
1977 में जेएनपी के रामानंद सिंह


सुरेंद्र सिंह को फिर एक बार टिकट 


बीजेपी ने अपने पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार को चौथी बार विधानसभा का टिकट दिया है. पहली सूची आने से पहले कई नामों के कयास लगाए जा रहे थे जैसे युवा चेहरा सुभाष शर्मा डॉली, शंकर दयाल त्रिपाठी, चंद्र कमल त्रिपाठी दावेदार थे पर गहरवार की इतनी हार के बाद भी पार्टी ने उनपर ही फिर से भरोसा दिखाया हैं. गहरवार यह दावा कर रहे है कि इस बार जनता उनका साथ जरूर देगी. केवल एक बार 2008 में बीजेपी को चित्रकूट में जीत मिली थी.


वहीं कांग्रेस की तरफ से एक बार फिर नीलांशू चतुर्वेदी ही दावेदार नजर आ रहे हैं. नीलांशू पहली बार उपचुनाव जीतकर विधायक बने थे, इसके बाद पार्टी ने उन्हें 2018 में भी मौका दिया था, जहां वह पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे थे.