MP Assembly Election Litmus Test: श्यामदत्त चतु्र्वेदी/नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक गतिविधियां बढ़ गई हैं. कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष कमलनाथ (Kamalmath) ने कमान संभाल कर दौरे शुरू कर दिए हैं. भाजपा की तरफ से सीएम शिवराज (CM Shivraj) भी लगातार जीत की तैयारी कर रही है. अब शिवराज मंत्रीमंडल विस्तार की भी चर्चा हो रही है. ऐसे में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 20 जनवरी को 19 निकायों में हो रहे आखिरी लोकल चुनाव (Nikay Chunav) में BJP-कांग्रेस के लिए मिनी ट्रायल हैं. इन्हीं के रुझानों के बाद सत्ता और विपक्ष आगे की रणनीति पर काम करेंगी.


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कहां-कहां होना है चुनाव?
6 नगर पालिका राघौगढ़ विजयपुर, बड़वानी, सेंधवा, धार, पीथमपुर और मनावर के साथ ही 13 नगर परिषद जैतहरी, औंकारेश्वर, अंजड, राजपुर, पलसूद, पानसेमल, खेतिया, सरदारपुर, राजगढ़, कुक्षी, धरमपुरी, धामनोद और डही के लिए वोटिंग होगी. इन चुनावों के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ ने जमकर प्रचार किया है.


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दिल्ली बैठक के बाद बदलावों की चर्चा
हाल ही में दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ाने का फैसला हुआ है. बैठक से बाहर सूत्रों ने ये जानकारी भी दी है कि कुछ राज्यों के संगठन में बदलाव हो सकते हैं. वहीं चुनावों राज्यों के मंत्रीमंडल में भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश में ये 19 निकायों के चुनाव संगठन और सत्ता में होने वाले बदलावों के साथ ही विधानसभा चुनाव के लिए दोनों दलों के लिए आगे की राह तय करेंगे.


मंत्री मंडल विस्तार में पड़ेगा असर
चुनावों से पहले शिवराज मंत्रीमंडल में विस्तार की चर्चा जोरों पर है. इसमें जातिगत और क्षेत्र को साधा जाएगा, जिससे 2023 की राह पार्टी के लिए आसान हो सके. इससे पहले हो रहे निकाय चुनाव पार्टी को इस बात का निर्णय लेने में मदद करेंगे कि किस क्षेत्र और किस नेता को कितना वेटेज देना है. ऐसे में ये चुनाव केवल पार्टियों के ही नहीं यहां से आने वाले बड़े नेताओं के लिए भी अपनी साख बचाने का ट्रायल है. इन्हीं के परिणामों से उनका भविष्य भी तय होगा.


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क्या पड़ सकता है विधानसभा चुनावों पर असर
20 जनवरी को 6 नगर पालिकाओं के साथ ही 13 नगर परिषदों में होने वाले चुनाव में 5 लाख से अधिक मतदाता वोट करने वाले हैं. देखने में ये 5 लाख का नंबर भले छोटे हों लेकिन, इन जगहों पर आए परिणाम का असर आसपास के ग्रामीण इलाकों में अच्छा खासा पड़ने वाला है. भौगोलिक रूप से देखा जाए तो एक नगर पालिका का असर पूरी विधानसभा में रिफ्लेक्ट होता है. इस कारण इस लोकल चुनाव का असर विधानसभा में पूरी तरह से दिखेगा.


पिछले चुनाव के कारण बीजेपी सीरियस
हाल ही में संपन्न हुआ निकाय चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा. 16 नगर निगमों में से भाजपा के हाथ से 7 मेयर सीट फिसलकर 5 कांग्रेस, 1 आप और एक निर्दलीय के खाते में चली गई है. वहीं नगर पालिका और परिषदों में भी भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा है. ऐसे में इन चुनावों में पार्टी की पूरी कोशिश है कि वो रिकवरी कर पाए. जिससे विधानसभा की राह थोड़ा आसान हो सके.