Vijaypur Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान कभी भी हो सकता है. ऐसे में राजनीतिक दल एक-एक विधानसभा सीट पर तैयारियों में जुटे हैं. चंबल अंचल में आने वाली श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट प्रदेश की प्रोफाइल सीटों में शामिल हैं. इस सीट पर कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन 2018 में बीजेपी ने कांग्रेस के इस गढ़ के भेद लिया था. विजयपुर विधानसभा सीट पर जाति का दबदबा सबसे ज्यादा माना जाता है, ऐसे में इस सीट के सियासी इतिहास और राजनीतिक समीकरण के बारें में हम आपको बताने जा रहे हैं. 


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विजयपुर के जातिगत समीकरण 


दरअसल, चंबल अंचल की विधानसभा सीट होने की वजह से विजयपुर में जातिगत समीकरण हावी रहते हैं. इस सीट पर करीब आदिवासी समाज के करीब 65 हजार वोटर हैं, जबकि इसके बाद मीणा समाज का दबदबा माना जाता है. यह सीट कांग्रेस के पूर्व मंत्री रामनिवास रावत का गढ़ मानी जाती है, जो यहां से पांच चुनाव जीत चुके हैं. हालांकि 2018 के चुनाव में इस सीट पर पहली बार आदिवासी विधायक को जीत मिली थी. इसके अलावा रावत, जाटव, ब्राह्मण और किरार वोटर्स भी यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं. 


बात अगर विजयपुर विधानसभा सीट के मतदाताओं की जाए तो यहां कुल 2 लाख 42 हजार 374 वोटर्स हैं, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 28 हजार 209 और महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 14 हजार 165 वोटर्स है. 


विजयपुर सीट का राजनीतिक इतिहास 


बात अगर विजयपुर विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की जाए तो यह सीट 1951 से ही अस्तित्व में आ गई थी तब इसे श्योपुर-विजयपुर के नाम से जाता था. लेकिन मध्य प्रदेश के गठन के बाद यह सीट विजयपुर विधानसभा सीट के नाम से जानी जाती है. 1962 से लेकर अब तक यहां 6 बार कांग्रेस तो पांच बार बीजेपी को जीत मिली है, जबकि 2 बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. 


विजयपुर के अब तक के विधायक 


  • नवल किशोर, निर्दलीय, 1962

  • जगमोहन सिंह, निर्दलीय, 1967

  • जगमोहन सिंह, भारतीय जनसंघ, 1972

  • अजीत कुमार, जनता पार्टी, 1977

  • जगमोहन सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1980

  • बाबूलाल मेवाड़ा, बीजेपी, 1985


1990 से रामनिवास रावत का दबदबा 


1990 के बाद इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता रामनिवास रावत का दबदबा रहा है. रावत 1990 में पहली बार यहां से कांग्रेस विधायक चुने गए थे, जिसके बाद 1993 में भी उन्होंने जीत हासिल की. हालांकि 1998 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और  बाबूलाल मेवाड़ा दूसरी बार बीजेपी के विधायक बने. लेकिन 2003 से लेकर 2013 तक लगातार तीन चुनाव रामनिवास रावत ने जीते. इस दौरान रामनिवास रावत दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री भी रहे हैं. 2023 में भी उनका टिकट फाइनल माना जा रहा है. हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में रामनिवास रावत को सीताराम आदिवासी के हाथों हार का सामना करना पड़ा.  


ऐसा रहा था 2018 का नतीजा 


2018 के विधानसभा चुनाव में विजयपुर विधानसभा सीट पर सबकी नजरें थी. इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रामनिवास रावत को 60491 वोट मिले थे, जबकि सीताराम आदिवासी को 63331 वोट मिले थे. इस तरह बीजेपी को 2840 वोट से जीत मिली थी. यह सीट मुरैना लोकसभा के तहत आती है, जहां से केंद्रीय मंत्री और बीजेपी चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर सांसद हैं. ऐसे में यह ग्वालियर-चंबल की भी हॉट सीट मानी जा रही है. 


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