भोपालः मध्य प्रदेश में लंपी वायरस का अलर्ट जारी किया गया है. इसको लेकर पशुालन विभाग और डेयरी विभाग ने गाईडलाइन जारी किया है. भारत सरकार  द्वारा जारी गाइड लाईन के अनुसार रोग की पहचान और नियंत्रण हेतु सजग रहने और लक्षण दिखाई देने पर दिए गए गाइडलाइन के अनुसार नमूने एकत्रित कर राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल भेजने के निर्देश जारी किए हैं. बता दें कि मध्य प्रदेश में लंपी वायरस के तेजी से फैलने की वजह से लोगों के बीच दहशत है.


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जानिए कैसे फैल रहा है यह वायरस
गाइडलाइन में बताया गया कि लंपी वायरस स्किन डिसीज पशुओं की एक वायरल बीमारी है, जो कि पॉक्स वायरस द्वारा पशुओं में फैलती है. यह रोग मच्छर काटने वाली मक्खी एवं टिक्स आदि से एक पशु से दूसरे पशुओं में फैलती है. इस रोग के शुरुआत में हल्का बुखार दो से तीन दिन के लिये रहता है, उसके बाद पूरे शरीर के चमड़ी में गठानें (2-3 सेमी) निकल आती है.


लंपी वायरस के लक्षण
पशुओं के शरीर पर यह गठान गोल उभरी हुई होती है, जो कि चमड़ी के साथ-साथ मसल्स की गहराई तक जाती है. इस बीमारी के लक्षण मुंह, गले, श्वास नली तक फैल जाती है. साथ ही लिंफ नोड में सूजन पैरों में सूजन, दुग्ध उत्पादकता में कमी, गर्भपात, बांझपन और कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है. 


2-3 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं पशु
लंपी वायरस से अधिकतर संक्रमित पशु 2-3 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं. किन्तु दुग्ध उत्पादकता में कमी कई सप्ताह तक बनी रहती है. मृत्यु दर 15 प्रतिशत है किन्तु संक्रमणता की दर 10-20 प्रतिशत रहती है.


इन बातों का रखें ध्यान
यदि कोई पशु लंपी वायरस से संक्रमित है तो उसे स्वस्थ पशुओं से अलघ रखें. साथ ही पशु चिकित्सकों से परामर्श लेकर उसका उपचार करें. अगर संक्रमित पशुओं को बुखार है तो उसे पैरासिटामॉल खिलाएं. वहीं सेकेंडरी बैक्टीरियल इंफेक्शन रोकने के लिए पशु को चिकित्सक से परामर्श लेकर 5-7 दिनों तक घावों पर एंटीबायोटिक और एंटी हिस्टामिनिक लगावाएं. लंपी वायरस से संक्रमित पशु को पर्याप्त मात्रा में तरल खाना दें.


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