संजय लोहानी/ सतना: देश भर में गिद्धों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है. इसे बचाने के लिए मध्य प्रदेश (MP News) वन विभाग की तरफ से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. इसी के तहत प्रदेश में वन विभाग के द्वारा तीन दिन तक गिद्धों की गिनती की गई. ये गितनी सतना जिले के चित्रकूट वन परिक्षेत्र में की गई. इसमें में पांच प्रजाति के गिद्धों की गणना हुई. बता दें कि गिनती में इतने गिद्ध पाए गए हैं. 


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की गई गणना 
मध्य प्रदेश के चित्रकूट वन परिक्षेत्र में तीन दिवसीय गिद्ध गणना की गई. इसके तहत आठ चयनित स्थल पर गिद्धों की गणना करने के लिए चित्रकूट रेंजर द्वारा 8 टीमों का गठन किया गया था. गिनती में वन विभाग को लगभग 858 गिद्धे मिली जिनमें से कुछ ऐसे गिद्ध भी मिले जिनकी प्रजाति बिल्कुल खत्म होने के कागार पर पहुंच गई है. गणना के दौरान टीम को काला गिद्ध, सफेद गिद्ध, हिमालयन गिद्ध, यूरेशियन गिद्ध, भारतीय देशी गिद्ध भी नजर आई. 


इसे लेकर चित्रकूट रेंजर ने जानकारी देते हुए बताया कि चित्रकूट में आठ जगह निर्धारित की गई है जो गिद्धों के रहने के हिसाब से अनुकूल है. उनमें सती अनुसुइया के ऊपर चोटी में स्थित चंद्र लोक में सबसे विलुप्त प्रजाति की काला गिद्ध की प्रजातियां मिली जिनमें करीब 58 अवयस्क तथा 200 से ऊपर वयस्क गिद्ध नजर आई. साथ ही उन्होंने बताया कि विटनरी द्वारा लिखी जाने वाली डाइक्लोफेनेक गिद्धों के लिए सबसे खतरनाक साथ इस विटनरी की कुछ और दवाएं नुकसानदेह है जिनपर बैन लगाया गया है बैन लगाने के बाद अब गिद्धों की चित्रकूट समेत पूरे प्रदेश में गिद्धों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. 


संख्या में आई गिरावट
एक समय देश भर में गिद्धों की संख्या काफी ज्यादा होती थी. इसमें मध्य प्रदेश में भी काफी संख्या में गिद्ध पाए जाते थे. लेकिन धीरे- धीरे गिद्धों की संख्या कम हो गई है. बता दें कि गिद्धों की संख्या में गिरावट का प्रमुख कारण डिक्लोफिनेक (Diclofenac) मानी गई है. जो पशुओं के शवों को खाते समय गिद्धों के शरीर में पहुँच जाती है. साल 2008 में इस दवा को बैन कर दिया गया था.