Ghadi Wale Baba Temple Ujjain MP: मध्य प्रदेश में कई रहस्यमयी मंदिर हैं जो लोगों की आस्था के प्रतीक हैं, ऐसे ही हम आपको बताने जा रहे हैं महाकाल की नगरी में स्थित घड़ी वाले बाबा के बारे में, उज्जैन में घड़ी वाले बाबा के मंदिर में पूजा करने देश दुनिया से लोग आते हैं और यहां पर घड़ी चढ़ाते हैं साथ ही साथ समय देव की पूजा करते हैं. यहां पर पूजा अर्चना करने वाले लोग बताते हैं कि उनकी यहां मांगी हुई मन्नतें पूरी होती है. ऐसे में आइए हम जानते हैं इस मंदिर के बारे में. 


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घड़ी वाले बाबा का मंदिर 
उज्जैन जिले के एक छोटे से गांव गुराडिया सांगा में ये अद्भुत मंदिर है, यहां श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और फूल, माला व प्रसाद की जगह घड़ी चढ़ाते हैं, उनका मानना है कि ऐसा करने से मंदिर के देवता खुश होते हैं, साथ ही उनकी सारी मनोकामना भी पूरी होती है, यही कारण है कि भक्तों के बीच यह मंदिर घड़ी वाले बाबा के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं, महाकाल की नगरी उज्जैन से करीब 40 किलोमीटर दूर महिदपुर और उन्हेल के बीच सड़क किनारे प्रसिद्ध घड़ी वाले बाबा का मंदिर है. यह स्थान सगस भैरव जी का स्थान है. 


सगस भैरव का मंदिर न सिर्फ इलाके के हजारों लोगों की आस्था का केंद्र है. श्रद्धालु यहाँ स्थित बरगद के पेड़ पर घड़ी चढ़ाते हैं. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि ऐसा करने से उनके जीवन में भी सही समय शुरू हो जाएगा और उनके सारे रुके हुए काम होते चले जाएंगे.


क्या कहते हैं लोग 
घड़ी वाले बाबा के मंदिर में घड़ी चढ़ाने का इतिहास एक दशक से भी अधिक पुराना है. स्थानीय लोगों के अनुसार सबसे पहले एक व्यक्ति ने अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद यहां घड़ी चढ़ाई थी. इसके बाद यहां घड़ी चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो गया. आज यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और घड़ी चढ़ाते हैं. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां घड़ी चढ़ाने से उनका सही वक्त शुरू हो जाएगा. यहां आने वाले कई भक्तों का मानना है कि यहां घड़ी चढ़ाने के बाद उनका समय पूरी तरह से बदल गया.


घड़ी से पटा बरगद
घड़ी वाले बाबा के मंदिर में लगातार घड़ी चढ़ाने से बरगद का पूरा पेड़ घड़ी से लद गया है. इनमें से कई घडियां चालू है और जबकि कई पुरानी घडियां बंद हो चुकी है. रात के समय इस मंदिर के पास से टिक-टिक की आवाज सुनाई देती है. यहां कई कीमती घडियां भी श्रद्धालुओं ने चढ़ाई है, लेकिन सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं होने के बावजूद यहां से आज तक कोई घड़ी चोरी नहीं हुई है. इलाके के लोगों का मानना है कि एक बार घड़ी चोरी का प्रयास करने आए चोर को खुद घड़ी चढ़ाकर जाना पड़ा. इसके बाद से ही मंदिर के प्रति लोगों की आस्था और भी बढ़ गई.


क्या कहते हैं दुकानदार 
मंदिर आने वाले रास्तों पर कई दुकानें है जहाँ घड़ियां बिकती है, यहां तक की राशन और चाय-नाश्ते की दुकानों पर भी घड़ियां बिकने के लिए उपलब्ध होती हैं. मंदिर के आसपास घड़ियों की कई दुकानें है, यहां दुकान संचालित करने वाले लोगों का कहना है कि लोग प्रसाद और हार-फूल के साथ घड़ियां भी खरीदते हैं, एक दिन में कम से कम 200 से ज्यादा घड़ियां एक दुकानदार ही बेच लेता है.


(उज्जैन से पुष्पेंद्र राठौर की रिपोर्ट)


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