MP Patwari Vacancey: मध्यप्रदेश में पटवारी का फाइनल रिजल्ट आने के बाद अभ्यर्थियों को नौकरी देने का सिलसिला जारी है. इस बीच इंटरव्यू देने आए एक युवक के खिलाफ अफसरों ने FIR करवा दी. इसका कारण ये है कि 2022 के पटवारी परीक्षा में पास हुए परीक्षार्थी के दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं. वहीं इस पूरे मामले को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है.


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बता दें कि पटवारी भर्ती परीक्षा 2022 में चयनित अभ्यार्थियों के दस्तावेज परीक्षण किए जा रहे हैं. शिवपुरी में समिति द्वारा कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में बीते दिनों 31 अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का परीक्षण किया गया था. जिसमें एक अभ्यर्थी हंसराज मीणा ने मल्टी डिजीज श्रेणी का अपना दिव्यांग सर्टिफिकेट जांच समिति को दिया था. 


फर्जी दिव्यांग पत्र लगाया गया 
समिति सदस्यों को प्रमाण पत्र पर संदेह लगने पर दिव्यांग प्रमाण पत्र के सत्यापन एवं पुष्टि के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी शिवपुरी की अध्यक्षता में गठित चिकित्सा जांच समिति की ओर भेजा गया. सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जिला मुरैना द्वारा भी बताया गया कि अभ्यर्थी हंसराज मीणा का दिव्यांग प्रमाण पत्र मुरैना से जारी नहीं किया गया है. अभ्यर्थी द्वारा लगाया गया दिव्यांग प्रमाण पत्र फर्जी है. इस प्रकार फर्जी तरीके से दिव्यांग प्रमाण पत्र लगाकर शासकीय नौकरी लेने का प्रयास किया गया है जो कि अपराध की श्रेणी में आता है. इस मामले में संबंधित अभ्यर्थी हंसराज मीणा के खिलाफ अफसरों ने एफआईआर दर्ज करवा दी है.


हैरानी की बात ये है कि आरोपी परीक्षार्थी ने नकली प्रमाण पत्र बनवाकर खुद को विकलांग बताते हुए पटवारी परीक्षा में न केवल भाग लिया बल्कि परीक्षा पास भी कर ली.  लेकिन जब प्रमाण पत्रों की जांच की गई तो उसकी पोल खुल गई. 


दिग्विजय सिंह ने साधा निशाना
वहीं इस फर्जी पटवारी दिव्यांग मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सरकार पर निशाना साथा है. उन्होंने कहा कि एमपी में फर्जी दिव्यांग बनाने का खेल खेला जा रहा हैं. शिवपुरी में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट वाला अभ्यर्थी पकड़ा गया है. जिसने दलाल को 2.20 लाख रुपये देकर फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाया है. इस तरह के सैंकड़ों फर्जी दिव्यांग मध्यप्रदेश में होंगे जो मेहनती अभ्यर्थीयों का हक छीन रहे हैं. फ़र्ज़ी दिव्यांग सर्टिफिकेट बहुत बड़े पैमाने पर मप्र में बने हैं और सैंकड़ों फ़र्ज़ी लोगों की भर्ती हो गई है. लेकिन कई शिकायतों के बावजूद भी उन्हें नहीं पकड़ा गया. सीएम मोहन यादव को इसकी जांच करवानी चाहिए.


रिपोर्ट - प्रमोद शर्मा