MP Politics: प्रमोद शर्मा/भोपाल। बीजेपी के एक विधायक ने मध्य प्रदेश में सक्रिए आदिवासी संगठन (JAYS) पर बड़ा आरोप लगाया है. विधायक ने यह मामला आज सीएम हाउस पर हुई बीजेपी जनजातीय वर्ग के नेताओं की बैठक में भी उठाया है. वहीं बीजेपी विधायक के आरोपों पर कांग्रेस ने भी एंट्री लेते हुए आरोपों पर पलटवार लगाया है. जिससे प्रदेश की सियासत एक बार फिर आदिवासी वर्ग को लेकर शुरू हो गई है. क्योंकि प्रदेश में दोनों ही पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस आदिवासी वर्ग को साधने में जुटी है. 


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JAYS पर आदिवासियों को गुमराह करने का आरोप 
दरअसल, खंडवा जिले की पंधाना विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक राम दांगोरे ने जय आदिवासी संगठन JAYS पर आदिवासियों को गुमराह करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि ''जयस आदिवासियों को गुमराह कर रहा है. जयस के कार्यकर्ता उनके क्षेत्र में यह बात फैला रहे हैं कि आदिवासी हिन्दू नहीं है, ऐसा भ्रम फैलाकर जयस आदिवासियों को गुमराह कर भाजपा से तोड़ने में जुटी है.  भाजपा विधायक ने कहा मेरे क्षेत्र के आदिवासी भाइयों को भ्रमित किया गया है, ये आदिवासियों में फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए मैं यह बात सीएम हाउस में होने वाली बैठक में भी रखूंगा.''


सीएम हाउस पर हुई जनजतीय वर्ग की बैठक 
दरअसल, आज सीएम हाउस पर बीजेपी ने जनजातीय वर्ग के नेताओं की बैठक बुलाई थी, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनजातीय वर्ग के नेताओं से संवाद किया. इसी बैठक में विधायक राम दांगोरे ने यह मुद्दा उठाया है. वहीं भाजपा के आदिवासी विधायक राम दांगोरे के सनसनी खेज आरोप पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया है.''


बीजेपी फैला रही झूठ 
वहीं बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी से आदिवासियों ने किनारा कर लिया है, इसीलिए भाजपा को बैठक करनी पड़ रही है, प्रदेश के पूरे आदिवासी राहुल गांधी की पदयात्रा से जुड़ने वाले हैं. इसलिए जयस के नाम पर बीजेपी विधायक झूठ फैला रहे हैं, जयस किसी को नहीं भड़का रही है 2023 में आदिवासी कांग्रेस पार्टी को वोट करेंगे, बीजेपी की गिनी चुनी आदिवासी सीटें आएंगी. इसलिए बीजेपी को आदिवासियों के खिसकने का डर सता रहा है.


JAYS 2023 के चुनाव के लिए एक्टिव 
मध्य प्रदेश में जय आदिवासी संगठन (जयस) 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से एक्टिव नजर आ रहा है. 2018 का चुनाव जयस ने कांग्रेस के साथ लड़ा था, तब संगठन के प्रमुख डॉक्टर हीरालाल अलावा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. लेकिन इस बार वह अलग चुनाव लड़ने की बात भी कहते नजर आ रहे हैं. ऐसे में प्रदेश के सियासी समीकरण बिगड़ते हुए नजर आ रहे हैं. यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस आदिवासी वर्ग को साधने में जुटे हैं. 


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