वीरेंद्र वसिंदे /बड़वानी: कोरोना काल के दो वर्ष बाद नागपंचमी के अवसर पर निमाड़ के प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र नागलवाड़ी शिखर धाम (Nagalwadi Bhilat Dev Temple Barwani) में मेले का आयोजन हो रहा है. मेले को लेकर मंदिर समिति द्वारा तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. बता दें कि सतपुड़ा की पहाड़ी पर स्थित नागलवाड़ी भिलट देव मंदिर पर नागपंचमी के दौरान मध्य प्रदेश,महाराष्ट्र,गुजरात, राजस्थान समेत कई राज्यों से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.


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101 लीटर दूध से बाबा का होगा अभिषेक
2 वर्षों के बाद लग रहे नागपंचमी मेले को लेकर मंदिर समिति द्वारा तीन जगहों पर कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं. वहीं 30 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. नागपंचमी पर कल रात 10 बजे से आयोजन शुरू हो गए हैं. खास बात ये है कि 101 लीटर दूध से बाबा का अभिषेक होगा. जिसके बाद श्रृंगार और महाआरती होगी. 



मंदिर का 700 साल पुराना इतिहास 
बड़वानी के नागलवाड़ी भिलत देव मंदिर का 700 साल पुराना  इतिहास है. यहां के मुख्य पुजारी के अनुसार भीलत देव मंदिर (Story of Nagalwadi Bhilat Dev Temple Barwani) चमत्कारी है.कहा जाता है कि यहां मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है. यहां निःसंतान दंपत्ति संतान प्राप्ति की कामना लेकर आते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है. यह भी माना जाता है कि यहां कोई भी किन्नर रात्रि विश्राम नहीं करता है. कहा जाता है कि 200 साल पहले एक किन्नर ने बाबा भिलट देव की परीक्षा लेने के लिए उन से संतान प्राप्ति का वरदान मांगा था. जिसके बाद उसे गर्भ ठहर गया था,लेकिन कुछ ही समय बाद उसकी मृत्यु हो गई थी. तब से ही यहां पर कोई भी किन्नर रात नहीं रुकता और शाम ढलने से पहले नांगलवाड़ी छोड़ कर चला जाता है.


प्रचलित मान्यताओं और किंवदंतियों के अनुसार बाबा भीलत देव का जन्म लगभग 800 साल पहले मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रोलगांव पाटन में हुआ था.उनका जन्म रेवजी गवली और मेंदाबाई के घर में हुआ था. भीलत देव के माता-पिता एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे और दोनों ही  महादेव के बड़े भक्त थे.


(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)