Omkareshwar Sanctuary: ओंकारेश्वर में होगी MP की एक और सेंचुरी, अभ्यारण की अधिसूचना का इंतजार
Omkareshwar Sanctuary: खंडवा के इंदिरा सागर बांध के आसपास सघन वन क्षेत्र में प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभ्यारण का काम लगभग पूरा हो गया है. जल्दी ही इसकी अधिसूचना जारी होने की उम्मीद है.
Omkareshwar Sanctuary: खंडवा। इंदिरा सागर बांध के आसपास सघन वन क्षेत्र में प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभ्यारण का काम लगभग पूरा हो गया है. जल्दी ही इसकी अधिसूचना जारी होने की उम्मीद है. यह अभ्यारण इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर सागर बांध बनने के बाद प्रभावित हुए वन क्षेत्र और वन प्राणियों को बचाने के लिए बनाया जा रहा है. इस अभ्यारण में खंडवा और देवास जिलों का लगभग 61000 हेक्टेयर वन क्षेत्र शामिल किया गया है.
इलाके में हैं कई जानवर
अभ्यारण बनने से टूरिज्म बढ़ेगा और आसपास के लोगों की आजीविका और आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा. इस वन क्षेत्र में टाइगर, तेंदुआ, लकड़बग्घा, भालू सियार जैसे अनेक शाकाहारी, मांसाहारी और विभिन्न प्रजाति के पक्षी निवास करते हैं.
जीवों के संरक्षण के लिए थी प्रस्तावना
नर्मदा नदी पर बने इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर सागर बांध के कारण खंडवा देवास और हरदा जिले का बड़ा वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था. सतपुड़ा से लगे नर्मदा घाटी का यह वन क्षेत्र काफी सघन था. इस वन क्षेत्र में अनेक तरह के शाकाहारी और मांसाहारी प्राणी पाए जाते थे. बांध बनने के बाद इन वन प्राणियों को संरक्षित करने के लिए ओंकारेश्वर सेंचुरी बनना प्रस्तावित था.
अधोसंरचना के कार्य पूर्ण
दिसंबर 1987 में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की निगरानी में एक कमेटी गठित की थी. सेंचुरी बनाने के लिए आवश्यक तैयारी और प्लान के अनुरूप निर्देश तय किए गए थे. वन विभाग ने इस अभ्यारण के लिए आवश्यक सभी अधोसंरचना के कार्य पूर्ण कर लिए हैं. अधिसूचना जारी होने के बाद पर्यटन बढ़ने से ओंकारेश्वर अभ्यारण आसपास के लोगों की आजीविका और आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा.
प्लान सरकार को भेजा गया
वन विभाग ने ओंकारेश्वर अभ्यारण का पूरा प्लान बनाकर शासन को भेजा है. इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर सागर बांध का पानी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है. वन प्राणियों की सुरक्षा के लिए यह पानी प्राकृतिक फेंसिंग का काम भी करेगा. देवास जिले का खीवनी अभ्यारण भी इसी से लगा हुआ है. यह दोनों अभ्यारण आपस में एक कॉरिडोर से जुड़ेंगे जिससे वन्य प्राणियों को काफी बड़े क्षेत्र में प्राकृतिक आवास उपलब्ध होगा.