भारत में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव करवाने का प्रस्ताव यानि (वन नेशन वन इलेक्शन) को केंद्रीय कैबिनेट की तरफ से मंजूरी दे दी गई है. बताया जा रहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र में यह बिल पास किया जाएगा. एक देश एक चुनाव का प्रस्ताव कैबिनेट से पास होने के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए बताया कि 'पहले फेज में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव साथ होंगे और फिर दूसरे फेज में निकाय चुनाव कराए जाएं.' मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने भी इस कदम को ऐतिहासिक बताया है. उन्होंने भी वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन करते हुए इसका स्वागत किया है. 


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सीएम मोहन ने बताया ऐतिहासिक कदम 


एक देश एक चुनाव पर सीएम मोहन यादव ने कहा 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में आज भारतीय लोकतंत्र ने One Nation-One Election की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है, 'केंद्रीय मंत्रिमंडल की तरफ से वन नेशन वन इलेक्शन को दी गई स्वीकृति का मैं समस्त मध्य प्रदेशवासियों की ओर से हार्दिक स्वागत करता हूं, इस पहल से न केवल भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों व आदर्शों को और अधिक मजबूती मिलेगी, बल्कि यह हमारी संसदीय प्रणाली में एक ऐतिहासिक सुधार भी साबित होगा. मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि आज के इस निर्णय के साथ भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र में की गई एक और महत्वपूर्ण घोषणा साकार होने जा रही है. इस ऐतिहासिक कदम के लिए प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार और सभी देशवासियों को बधाई!.'


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नवंबर-दिसंबर में आएगा बिल 


माना जा रहा है कि 'वन नेशन वन इलेक्शन' का बिल संसद के शीतकालीन सत्र यानी नवंबर-दिसंबर में पेश किया जाएगा. बता दें कि एक देश एक चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था. जिसके बाद 14 मार्च को इस कमेटी ने महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. वहीं हाल ही में ही 17 सितंबर को गृह मंत्री अमित शाह ने भी बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि सरकार इसी कार्यकाल में 'वन नेशन वन इलेक्शन' लागू करेगी. जबकि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषण में बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा पैदा करने वाली बात कही थी. जिससे माना जा रहा है कि सरकार नवंबर-दिसंबर में ही 'वन नेशन वन इलेक्शन' का बिल पास करेगी. 


क्या है वन नेशन वन इलेक्शन


दरअसल, अभी भारत में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग-अलग होते हैं, लेकिन वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि देशभर में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव करवाए जाए. यानि वोटर लोकसभा के साथ-साथ राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए भी एक ही दिन में अपना वोट करें. देश को मिली आजादी के बाद भी एक साथ ही चुनाव होते थे. 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए थे. लेकिन बाद में कुछ विधानसभाएं भंग हुई और फिर लोकसभा भी भंग हुई थी. जिससे देश में एक साथ चुनाव की परंपरा टूट गई थी. लेकिन केंद्र सरकार फिर से इस परंपरा को शुरू करना चाहती है. ऐसे में वन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव लाया गया है. 


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