भारत के प्राचीन मंदिरों का खजाना है छत्तीसगढ़, 5वीं से 12वीं शताब्दी मंदिर मौजूद
Historical Temple Of India: अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर सिरपुर अपनी ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के कारण आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. सिरपुर 5वीं से 8वीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कोसल की राजधानी थी. सिरपुर में कई प्राचीन हिंदू और बुद्ध धर्म के मंदिर है.
सिरपुर स्मारक समूह भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद जिले में 5वीं से 12वीं शताब्दी के हिंदू, जैन और बौद्ध स्मारकों वाला एक पुरातात्विक और पर्यटन स्थल है. यह इसी नाम के गांव के पास स्थित है, यह राज्य की राजधानी रायपुर से 78 किलोमीटर पूर्व में है.
लक्ष्मण मंदिर(Lakshmana temple)
लक्ष्मण मंदिर का निर्माण सन् 525 से 540 के बीच हुआ था. यह मंदिर भारत का पहला ऐसा मंदिर माना जाता है, जिसका निर्माण लाल ईंटों से किया गया था. लक्ष्मण मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर में ईंटों पर नक्काशी करके कलाकृतियाँ निर्मित की गई हैं जो देखने लायक है.
Rama temple( Rama Temple, Sripur)
यह मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और माना जाता है कि यह भगवान राम और लक्ष्मण को समर्पित है. इस मंदिर का लोकप्रिय आकर्षण सितारा आकार का मंच है जिसे जगती कहा जाता है . यह जगती (मंच) भारत में ऐसी वास्तुकला का सबसे पहला उदाहरण माना जाता है.
गंधेश्वर मंदिर(Gandheshwar temple)
महानदी के तट पर स्थित यह एक दिलचस्प आकर्षण है. गंधेश्वर मंदिर के अंदर संरचनाओं पर वास्तुकला और नक्काशी की विभिन्न शैलियों को देखकर कोई भी आश्चर्यचकित हो जाएगा.विभिन्न मंदिरों के ऐतिहासिक अवशेषों ने मिलकर इस खूबसूरत मंदिर का निर्माण किया जो बाद में पर्यटकों के बीच रुचि का स्थान बन गया है. मंदिर में बुद्ध की मूर्ति, नटराज, गरुड़ नारायण की मूर्ति, शिव लिंग भी है.
बालेश्वर महादेव मंदिर(Baleshwar Mahadev Temple)
चंद वंश के शासकों द्वारा निर्मित बालेश्वर मंदिर पत्थर की नक्काशी का अद्भुत प्रतीक है. ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 13वीं शताब्दी ई. में गरुड़ ज्ञान चंद ने करवाया था, यहां कई मंदिर है. खुदाई से प्राप्त तीन शिव मंदिरों भी है.
सुरंग टीला (Surang tila)
यहां दो भूरे रंग के शिव लिंग हैं, साथ ही एक काले ग्रेनाइट का शिव लिंग है और भगवान विष्णु को समर्पित मूर्तियां हैं.यह मंदिर सफेद पत्थर से बना है. यह एक मिट्टी का टीला हुआ करता था जिसमें स्थानीय लोग सुरंगों (सुरंग) का उपयोग करते थे.
आनंद प्रभु कुटी विहार (Ananda Prabhu vihara)
आनंद प्रभु कुड़ी विहार महासमुंद के सिरपुर शहर के बुद्ध विहारों में से एक प्रमुख विहार है. यह विहार महाशिव गुप्त बालार्जुन के काल का है. इसका निर्माण भगवान बुद्ध के प्रसिद्ध अनुयायी भिक्षु आनंद प्रभु ने किया था. मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर कई द्वारपाल नक्काशी के साथ कई पत्थर के खंभे हैं. आनंद प्रभु कुड़ी विहार, महासमुंद एक चौदह कमरों वाला बौद्ध विहार है.
स्वस्तिक विहार( Swastika Vihar)
ऐसा कहा जाता है कि स्वस्तिक (एक पवित्र चिन्ह) के आकार में होने के कारण इसका नाम स्वस्तिक विहार रखा गया था. यहां के गर्भगृह में भगवान बुद्ध की एक बड़ी मूर्ति रखी हुई है. यह खूबसूरत विहार 7वीं-8वीं शताब्दी की है.
तीवरदेव( teevarda)
यह मंदिर एक शैव राजा और उनकी बौद्ध रानी द्वारा निर्मित समकालिक है. यह मंदिर हिंदू और बौद्ध विषयों को दर्शाता है. यह स्मारक बौद्ध और हिंदू कलाओं का एक समन्वित संग्रह है, क्योंकि यह बुद्ध की मूर्तियों और बौद्ध कलाकृतियों के साथ-साथ हिंदू विषयों जैसे गंगा और यमुना देवी, काम और मिथुन के दृश्य, पंचतंत्र की कहानियों के साथ-साथ गजलक्ष्मी को भी दर्शाता है.