Bhopal history: कई मौतों के बाद ऐसे भोपाल बना भारत का हिस्सा, 1 जून को पहली बार लहराया था तिरंगा

History of India: क्या आप जानते हैं नवाबी स्टेट भोपाल का भारत में विलय कैसे हुआ था?मुहम्मद अली जिन्ना के करीबी भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान के खिलाफ विलीनीकरण आंदोलन क्यों भड़का जिसमें कई जाने गई.

ज़ी न्यूज़ डेस्क Tue, 28 May 2024-10:57 pm,
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आजादी के बाद 26 अगस्त 1947 को भोपाल रियासत ने भारत में शामिल होने का ऐलान किया था, लेकिन अगले दो साल तक भोपाल में तिरंगा नहीं भोपाल रियासत का अपना झंडा लहराता गया था. सैद्धांतिक सहमति के बावजूद भोपाल रियासत का भारत में औपचारिक विलय 1949 में हुआ, लेकिन भोपाल का भारत में विलय आसन नहीं था. इसमें कई लोगों की जाने चली गई थी.  

 

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नवाब हमीदुल्ला भारत में विलय के लिए तैयार नहीं

भारत के आजादी के बाद कई रियासतों का भारत में विलय हुआ, लेकिन भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान भारत में शामिल होने के लिए तैयार नहीं थे. सुल्तान कैखुसरो जहां बेगम के बेटे और 1926 में भोपाल के नवाब बने हमीदुल्लाह खान मुस्लिम लीग के सदस्य थे. मोहम्मद अली जिन्ना और हमीदुल्ला खान की दोस्ती जगजाहिर थी. 

 

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भारत और पाकिस्तान के बीच चयन की बात

1947 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच चयन की बात आई तो भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान ने हैदराबाद और कश्मीर की रियासतों की तरह दोनों देशों में शामिल होने के विकल्प को खारिज कर दिया और एक अलग स्वतंत्र राज्य की वकालत की। माउंटबेटन ने भोपाल की स्वतंत्र राज्य बने रहने की अपील को खारिज कर दिया। उन्होंने लिखा था कि दो देशों के बीच एक छोटी सी रियासत कैसे स्वतंत्र राज्य रह सकती है. आजादी का समय नजदीक आ रहा था इसलिए नवाब के लिए किसी एक विकल्प को अपनाना जरूरी था।

 

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हैदराबाद और कश्मीर की रियासतों की तरह

1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच चयन की बात आई तो भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान ने  हैदराबाद और कश्मीर की रियासतों की तरह दोनों देश में शामिल होने के विकल्प को खारिज कर दिया और अपना एक अलग स्वतंत्र राज्य की वकालत की. माउंटबेटन ने भोपाल के स्वतंत्र राज्य बने रहने की अपील को खारिज कर दिया. उन्होंने लिखा था कि दो देशों के बीच एक छोटी सी रियासत  कैसे स्वतंत्र स्टेट रह सकती है. आजादी का समय नजदीक आ रहा था, इसलिए नवाब के लिए किसी एक विकल्प के साथ जाना मजबूरी हो गई थी. 

 

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सहमति के बाद भी नवाब के मन में कुछ और

जब बाकी रियासतें भारत में शामिल हो रही थी तो 1947 में नवाब हमीदुल्लाह ने भी भारत में शामिल होने पर सहमति दर्ज की. हालांकि इसके बाद भी कुछ समय तक नवाब हमीदुल्लाह  कोशीश में लगे रहे की भोपाल एक स्वतंत्र राज्य रहे. दरअसल, भोपाल एक मुस्लिम नवाब स्टेट था लेकिन वहां हिंदू की आबाजी जादा थी. जब नवाब के अलग रहने की इच्छा भोपाल के लोगों के सामने आई तो भोपाल में जनआंदोलन  की शुरुआत हो गई. 

 

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विलीनीकरण आंदोलन

जब  नवाब हमीदुल्लाह हज के लिए गए तो शंकरदयाल शर्मा, भाई रतन कुमार गुप्ता जैसे नेताओं के नेतृत्व में भोपाल के भारत में विलय के लिए 'विलीनीकरण आंदोलन' की शुरुआत हुई. देखते ही देखते आंदोलन ने जोर पकड़ लिया, नवाबी व्यवस्था ने इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश की. भोपाल के नवाबी पुलिस ने आंदोलनकारी पर गोलियां चलानी शुरू कर दी. कई आंदोलनकारी शहीद हो गए और शंकरदयाल  शर्मा नेताओं को महीनों तक जेल में रहना पड़ा था.

 

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भोपाल में तिरंगा

सरदार पटेल ने अपने दूत वीपी मेनन को भोपाल की  स्थिति पर काबू करने के लिए कहा. मेनन ने भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह पर दबाव बनाया और साथ में एक करार किया. जिसके बाद 1 जून 1949 में भोपाल भारत में शामिल हुआ और उस दिन भोपाल में पहली बार भोपाल में औपचारिक रूप से तिरंगा लहराया और नवाबी झंडा उतारा गया था. 

 

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नवाब की बड़ी बहन पाकिस्तान की राजदूत थी

ऐसा कहा जाता है कि भोपाल के विलय के कुछ समय बाद नवाब हमीदुल्लाह इंग्लैड चले गए थे. उनकी बड़ी बहन आबिदा सुल्तान ने पाकिस्तान में रहने का फैसला किया था और उनका निगाह  कुरवाई के नवाब हुआ. पाकिस्तान जाने के बाद वहां की सरकार ने उन्हें ब्राजील में अपना राजदूत नियुक्त कर दिया था. 

 

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सैफ अली खान के परनाना नवाब हमीदुल्लाह

नवाब हमीदुल्लाह की छोटी बेटी साजिदा सुल्तान की शादी हरियाणा के पटौदी रियासत के नवाब से हुई. नवाब के जाने के बाद साजिदा सुल्तान ने गद्दी संभाली थी. मशहुर क्रिकेटर  मंसूर अली खान पटौदी साजिदा सुल्तान के बेटे थे. साजिदा सुल्तान के बाद उन्होंने भोपाल के नवाब की मान्यता मिली थी.  मंसूर अली खान पटौदी उर्फ टाइगर पटौदी ने बॉलीवुड अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से शादी की थी. सैफ अली खान उन्हीं के बेटे हैं. भोपाल के नवाब हमीदुल्ला रिश्ते में सैफ अली खान के परनाना लगे.

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