आगर मालवा में रक्षाबंधन की रौनक; गोबर से बनी राखियों ने खींचा ध्यान

Rakshabandhan 2024: रक्षाबंधन के त्योहार को लेकर मार्केट में काफी ज्यादा चहल पहल है. देश भर में राखियों की जमकर खरीददारी हो रही है. इसका आलम एमपी के बाजारों में भी देखा जा रहा है. बता दें कि आगर मालवा में बहनों के द्वारा हाथ से बनाई गई राखियां इन दिनों काफी ट्रेंडिंग में दिखाई दे रही है, इसके अलावा गाय के गोबर के अलावा कई और तरह से बनाई राखियों को लोग खूब पसंद कर रहे हैं.

अभिनव त्रिपाठी Sun, 18 Aug 2024-11:07 am,
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रक्षाबंधन के त्योहार पर आगर मालवा जिले में बहनों के द्वारा हाथ से बनाई गई राखियां इन दिनों काफी ट्रेंडिंग में दिखाई दे रही है, भाई बहनों के फोटो के अलावा इको फ्रेंडली होना इन राखियों की खास विशेषता है.

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बाजार में चाइनीज़ राखियों की जगह गाय के गोबर से बनी इको फ्रेंडली राखियां तो वहीं कुमकुम चावल के साथ भाई बहन के फोटो या नाम वाली राखियां विशेष डिमांड में दिखाई दे रही है. 

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इस राखी में भाइयों के नाम, फ़ोटो लगी हुई भी राखियां बहनों के द्वारा तैयार की जा रही है, इन बहनों द्वारा तिरंगे फ़ोटो वाली राखियां अपने हाथों बनाकर बार्डर पर तैनात सेनिको के लिए भी भेजी जा रही है, तो वहीं कुछ बहनें गोबर से बनी तुलसी व फूलों के बीजों से मिली हुई राखियों को बनाने में जुटी है. 

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कुमकुम अक्षत के साथ फोटो वाली राखियों की, रक्षाबंधन पर इस बार सावन सोमवार के साथ साथ कई तरह के उत्तम योग भी बन रहे है। इन उत्तम योग के बीच आगर मालवा जिले के सुसनेर में बहनें अपने हाथों से बनाई कंकु चावल व सुत के धागे से बनी शास्त्र सम्मत राखियां अपने भाइयों की कलाइयों पर बांधेगी.

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रेजीम आर्ट से बनाई जा रही राखियों में अक्षत व कुमकुम के साथ भाई-बहन की फोटो भी लगाई जा रही है। इसको बांधने के लिए सूत के धागे का उपयोग किया जा रहा है जो भाई बहन के पवित्र बंधन को और मजबूत करता है। ये राखियां पूरे नगर में आकर्षण का केन्द्र बिंदु बनी हुई है.

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बहनों ने पहली स्वेदशी राखी खाटू श्याम के फोटो वाली बनाई है जो रक्षाबंधन पर उन्हें बांधी जाएगी, हाथ से बनाई जा रही इन राखियों से जहां मेक इन इंडिया को मजबूती मिलेगी वही महिलाएं व युवतियां आत्मनिर्भर भी बन रही है.

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गाय के गोबर से बनाई जा रही राखियां आकर्षक का केंद्र हैं, हिन्दू धर्म मे गाय व उसके गोबर का शुभ कार्यो में काफी महत्व माना जाता है और यही कारण है कि जिले के सुसनेर की कुछ बहनों ने भाइयों की कलाइयों में बांधी जाने वाली राखियों को बनाने में इसका उपयोग किया है, इको फ्रेंडली इन राखियों में तुलसी व अन्य फूलों के पौधों के बीज भी डाले गए हैं. जो भाईयों के हाथों में काफी जचेंगी.

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