इंदौरी ही नहीं MP के इन 5 शहरों के लोग हैं बड़े चटोरे, यहां की डिश है देश में फेमस
मध्य प्रदेश में स्वाद के मामले में कई शहर फेमस हैं. ऐसे में हम आपको बताने चल रहे हैं टॅाप 5 शहरों के बारे में जहां का स्वाद आपको दीवाना बना देगा.
एमपी के चटोरे शहर
मध्य प्रदेश में अक्सर लोग इंदौरी लोगों को खाने के शौकीन समझते हैं. लेकिन यहां के कई ऐसे शहर हैं जो अपने लाजवाब डिश के लिए देश भर में फेमस हैं. अगर आप खाने के शौकीन हैं तो इन चटोरे शहरों में जरुर जाएं.
भोपाल चाय
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में खाने की कई स्वादिष्ट चीजें मिलती हैं. लेकिन यहां की चाय लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है. इस शहर में सुलेमानी चाय का बहुत ज्यादा क्रेज है. प्रदेश के बाहर से जब भी लोग भोपाल आते हैं तो वो बिना इसके स्वाद के नहीं रह पाते हैं. इसके अलावा इस शहर में पाय का जूस भी काफी ज्यादा फेमस है जो लोगों को अपनी तरफ खींच लेता है.
इंदौर पोहा
इंदौर शहर का नाम सुनते ही आपके जुबान पर पोहा आ गया होगा. जी हां यहां का पोहे और जलेबी का स्वाद किसी के छिपा नहीं है. भारत देश में कई जगहों पर इंदौर के पोहे के नाम से बड़े बड़े स्टॅाल लगे रहते हैं जो इस बात को बताते हैं कि यहां की पोहा जलेबी कितनी ज्यादा फेमस है. अगर आप जब भी इंदौर शहर जाइए तो यहां के जलेबी और पोहे का स्वाद जरुर लें.
मुरैना गजक
मुरैना शहर भी अपने स्वाद के लिए देश भर में जाना जाता है. यहां कि गजक लोगों के स्वाद को काफी ज्यादा बढ़ाती है. ऐसा कहा जाता है कि लोग इसका सेवन करते समय समझ ही नहीं पाते है और कुछ ज्यादा ही खा लेते हैं. हाल में ही हुए जी 20 सम्मेलन में विदेशियों के सर पर गजक का स्वाद चढ़कर बोला था. इसके बाद गजक को जीआई टैग का दर्जा दिया गया था.
रतलाम सेव
रतलाम की प्रसिद्ध सेव दुनिया भर में काफी ज्यादा प्रसिद्ध है. यह सेव बेसन की बनाई जाती है. बताया जाता है कि ये सेव रतलाम में करीब 200 साल पहले बननी शुरु हुई थी. धीरे- धीरे इसकी डिमांड बढ़ती गई और ये सेव काफी ज्यादा फेमस हो गई. यहां की सेव का स्वाद इतना ज्यादा फेमस है कि लोग दूर - दूर से इसे खरीदने के लिए आते हैं.
बुरहानपुर जलेबी
एमपी का बुरहानपुर जिला भी खाने के मामले में काफी ज्यादा प्रसिद्ध है. इस जिले का नाम सुनते ही लोगों को जलेबी का स्वाद आने लगता है. यहां कि पावा जलेबी काफी ज्यादा फेमस है. आज के लगभग 35-36 साल पहले शुरु हुआ जलेबी का चलन धीरे- धीरे बढ़ता गया और आज इसकी भारी डिमांड हैं.