World Veterinary Day: कान्हा के `टाइगर डॉक्टर`: 23 सालों से बचा रहे हैं बाघों की जान, 11 अनाथ शावकों को दिया जीवनदान
Kanha national park: हर साल 27 अप्रैल को विश्व पशु चिकित्सा दिवस मनाया जाता है. ऐसे में जानिए एक ऐसे डॉक्टर की कहानी जो जानवरों के लिए किसी सुपर हीरो से कम नहीं हैं. अपने काम से उन्होंने भारत को दुनिया भर में प्रसिद्ध किया है. डॉ. संदीप अग्रवाल 20 से ज्यादा बाघों का रेस्क्यू कर चुके हैं और बेजुबान जानवरों का शिकार करने वालों को सजा भी दिलाई है.
बाघों के सुपरहीरो
पूरी दुनिया में 27 अप्रैल को विश्व पशु चिकित्सा दिवस मनाया जाता है. ऐसे में इस दिन पर जानिए एक पशु और वन्य प्राणियों के क्षेत्र में योगदान देने वाले मंडला के डॉ. संदीप अग्रवाल के बारे में. उन्होंने भारत को विदेशों तक पहचान दिलाई है.
विश्व पशु चिकित्सा दिवस
पूरी दुनिया में 27 अप्रैल को विश्व पशु चिकित्सा दिवस मनाया जाता है. ऐसे में इस दिन पर जानिए एक पशु और वन्य प्राणियों के क्षेत्र में योगदान देने वाले मंडला के डॉ. संदीप अग्रवाल के बारे में. उन्होंने भारत को विदेशों तक पहचान दिलाई है.
डॉ. संदीप अग्रवाल
डॉ. संदीप अग्रवाल, मंडला जिला स्थित कान्हा नेशनल पार्क में वन्य प्राणियों के डॉक्टर के रूप में पदस्थ हैं. देश ही नहीं विदेशों तक कान्हा नेशनल पार्क को पहचान दिलाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
11 अनाथ शावकों का पालन
डॉ. संदीप अग्रवाल 2001 से कान्हा में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उन्होंने अब तक 11 अनाथ शावकों का पालन पोषण करने में अपना योगदान दिया है. अब वह बाघ देश के अन्य पार्क और जू की शोभा बढ़ा रहे हैं.
20 बाघों का रेस्क्यू
डॉ. संदीप अग्रवाल ने लगभग 20 बाघों का मुश्किलभरा रेस्क्यू कर उन्हें जीवन दिया है. साथ ही पोचिंग का शिकार हुए करीब 100 बाघों का पोस्टमार्टम कराकर दोषियों को सजा दिलाने का काम किया. साथ ही लोगों को वन्य प्राणियों की सुरक्षा के बारे में भी बताया.
23 सालों का सफर
डॉक्टर संदीप अग्रवाल का 23 साल का सफर मुश्किलों से भरा हुआ था. इनका योगदान केवल कान्हा नेशनल पार्क या बाघों को बचाने तक सीमित नहीं रहा है. जहां एक तरफ उन्होंने देश के विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों, रहवासी क्षेत्रो में बाघ और तेंदुओं के आतंक से लोगों को निजात दिलाई है. वहीं बारासिंघा, गौर, सांभर, चीतल, हाथी और भालू जैसे वन्यजीवों के लिए खूब काम किया है .
डॉ. संदीप का योगदान
उनकी बदौलत ही कान्हा नेशनल पार्क रि-वाइल्डिंग स्कूल के नाम से विश्व भर में प्रसिद्ध हुआ है. ऐसा नहीं है की इनका योगदान सिर्फ कान्हा नेशनल पार्क में ही है. इन्होंने पन्ना टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और नौरादेही टाइगर रिजर्व में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
टाइगर की आबादी में योगदान
एक समय में पन्ना टाइगर रिजर्व में विलुप्त हो चुके टाइगर को दोबारा से आबाद करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है. लोगों को डॉक्टर संदीप अग्रवाल से प्रेरणा लेकर प्रकृति और जानवरों की सुरक्षा में योगदान देना चाहिए क्योंकि मानव हर छोटी से बड़ी चीजों के लिए प्रकृति पर ही निर्भर है.