Pitra Pakasha Start 2022: आज यानी 10 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है. हिंदू धर्म की मान्यता अनुसार पितृपक्ष के दौरान पूर्वज किसी न किसी रूप में पृथ्वी पर निवास करते हैं. इसलिए पितर पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण, श्राद्ध व पिंडदान किया जाता है. इसे श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जानते हैं. ऐसे में जो लोग पितर पक्ष के दौरान पितृपक्ष के नियमों का पालन करते हैं उन पर पितर देव प्रसन्न होते हैं और पितरों के आशीर्वाद से उनके घर की खूब तरक्की होती है. लेकिन जो लोग पितृपक्ष के दौरान यदि जाने अनजाने में भी कुछ गलतियां घर पर कर बैठते हैं उन पर पितृदोष लगता है और उन्हें लाइफ में कई परेशानियां का सामना करना पड़ता है. आइए जानते हैं कौन सी हैं वो गलतियां जिसे पितृपक्ष के दौरान नहीं करना चाहिए और क्या है पितृ दोष से मुक्ति के उपाय


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पितृपक्ष में न करें ये काम


  • पितृपक्ष में मीट-मांस का सेवन न करें.

  • इस समय घर के किचन में मसूर की दाल और प्याज लहसून का उपयोग न करें.

  • पितृपक्ष में साबुन व उबटन का प्रयोग न करें

  • पितृपक्ष में नए समानों की खरीददारी जैसे भूमि, भवन, कपड़े, या वाहन की खरीददारी न करें

  • इस समय किसी प्रकार के मांगलिक कार्य न करें.

  • यदि आप श्राद्ध करते हैं तो इस दौरान आपको दाढ़ी, बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए.

  • पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध करने वालों को सात्विक भोजन करना चाहिए.


क्यों लगता है पितृदोष
धार्मिक मान्यता अनुसार यदि किसी व्यक्ति के मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है तो उसकी आत्मा भटकती है और पितृदोष लगता है. वहीं घर के बड़े बुजूर्गों का अनादर करने से भी पितृदोष लगता है.


कैसे पता चलता है कि घर में पितृदोष है?


  • पितृदोष के चलते घर में हमेशा कलह की स्थिति उत्पन्न होती है और परिवार में कभी एकता देखने को नहीं मिलता है.

  • पितृदोष होने पर लड़के लड़की की शादी में परेशानी होती है.

  • पितृदोष के चलते घर में बीमारियों का दस्तक रहता है.

  • पितृदोष की वजह से नौकरी व बिजनेस में अक्सर घाटा का सामना करना पड़ता है.

  • पितृदोष की वजह से वंशवृद्धि नहीं होती है.


जानिए पितृदोष से मुक्ति के उपाय
यदि आप उपरोक्त कारणों से परेशान हैं तो पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों का नियमित तर्पण और श्राद्ध करें. पितृपक्ष के दौराना रोजाना पीपल के वृक्ष में पितरों के नाम पर जल अर्पित करें. इस दौरान गरीब ब्राम्हणों का आदर-सत्कार के साथ भोजन कराएं और उन्हें सामर्थ्य अनुसाद दक्षिणा अर्पित करें. ऐसा करने से पितृदोष समाप्त होता है और घर की तरक्की होनी शुरू हो जाती है.


पितृपक्ष में नियमित करें पंचबलि
पितृपक्ष में पंचबलि का विशेष महत्व है. ऐसे में आपको पितृपक्ष के दौरान नियमित सुबह शाम पहला भोजन गाय के लिए, दूसरा भोजना कुत्ते के लिए, तीसरा कौआ के लिए चौथा देवता के लिए जिसे जल में प्रवाहित करें और पाचंवां चीटियों के लिए जिसे सुनसान जगह पर निकाल कर रख दें. मान्यता है कि जो लोग पितृपक्ष के दौरान नियमति इन पंचबलि यानी इन पांच लोगों के लिए भोजन निकालते हैं उनके घर के पितर प्रसन्न होते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं.


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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)