प्रमोद शर्मा/भोपालः मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते दिनों मध्य प्रदेश के दो शहरों भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम (Police Commissioner System) लागू करने का ऐलान किया था. अभी पुलिस कमिश्नर (Police Commissioner) सिस्टम के ड्राफ्ट पर मंथन चल रहा है और ऐसी खबर है कि 4 दिसंबर को इस पर कुछ अहम फैसला हो सकता है. जानकारी मिल रही है कि एमपी (MP Police) का पुलिस कमिश्नर सिस्टम यूपी के पुलिस कमिश्नर सिस्टम जैसा ही होगा. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पुलिस कमिश्नर (Police Commissioner) को मिलेंगे ये अधिकार
बता दें कि यूपी के लखनऊ, नोएडा, कानपुर और वाराणसी में पुलिस कमिश्नर सिस्टम है. भोपाल और इंदौर का कमिश्नर सिस्टम भी यूपी के इन्हीं शहरों के जैसा हो सकता है. जिसमें पुलिस कमिश्नर को प्रशासन के 14 अधिकार दिए जा सकते हैं. इनमें गुंडा नियंत्रण अधिनियम, अनैतिक व्यापार अधिनियम, पुलिस द्रव्य अधिनियम, पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम, कारागार अधिनियम, शासकीय गुप्त बात अधिनियम, विदेशी विषयक अधिनियम, गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम जैसे अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल सकते हैं.  


सरकारी कामकाज में नहीं होगा उर्दू, फारसी का इस्तेमाल! गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का बड़ा बयान


क्या है पुलिस कमिश्नर सिस्टम? (What Is Police Commissioner System)
बता दें कि संविधान की 7वीं अनुसूची के तहत पुलिस राज्य का विषय है. जिसके तहत राज्य सरकार को पुलिस संबंधी कानून बनाने और उस पर नियंत्रण का अधिकार मिला हुआ है. जिला स्तर पर एक ऐसा सिस्टम होता है, जिसमें पुलिस अधीक्षक को जिलाधिकारी के साथ मिलकर काम करना होता है. ऐसा ही दूसरा सिस्टम होता है पुलिस कमिश्नर सिस्टम. पुलिस कमिश्नर सिस्टम में पुलिस कमिश्नर को प्रशासन के कई अधिकार मिल जाते हैं. कमिश्नरेट सिस्टम में पुलिस कमिश्नर पूरी पुलिस कमांड का प्रमुख होता है. 


MP में महिलाएं भी करेंगी धान खरीद केंद्रों का संचालन, शिवराज सरकार ने लिया फैसला


डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल रैंक या उससे ऊपर की रैंक के पुलिस अधिकारी को पुलिस कमिश्नर बनाया जाता है और स्पेशल, जॉइंट, एडिश्नल, डिप्टी कमिश्नर उसे असिस्ट करते हैं. अभी तक मध्य प्रदेश, बिहार, जम्मू कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ही उत्तर पूर्वी राज्यों को छोड़कर बाकी राज्यों में कई जगह पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू है.