Loudspeaker Ban in MP: मध्य प्रदेश में लाउडस्पीकर पर सियासत शुरू हो गई है. कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि मस्जिदों को टारगेट किया जा रहा है. उन्होंने सीएम को पत्र लिखा कि अगर सुनवाई नहीं हुई तो कोर्ट जाएंगे. इधर, एमपी में मंदिर, मस्जिदों समेत अन्य धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने का अभियान जारी है. सीएम डॉ मोहन यादव के आदेश के बाद प्रदेश भर में आज भी कई धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए गए. 


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आरिफ मसूद ने भड़कते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में मस्जिदों को टारगेट करके स्पीकर हटाये जा रहे हैं. सीएम के निर्देश पर प्रशासन गुंडा गर्दी कर रहा है. स्पीकर से धार्मिक भावना फील होती है. लाउड स्पीकर की वॉल्यूम को लेकर कार्रवाई हो पर हटाने का हक किसी को नहीं है. सीएम के निर्देश की मंशा सिर्फ बांटने वाली है. मुस्लिमों को टारगेट किया जा रहा है. विधायक ने कहा कि सड़क पर नमाज नहीं पड़ेंगे. स्पीकर उतरवाएंगे. कांग्रेस विधायक ने सीएम को पत्र लिखा कि बातचीत करेंगे. हल नहीं निकला और मांग नहीं मानी गयी तो कोर्ट जाएंगे.


भाजपा प्रवक्ता मिलन भार्गव ने कहा कि कांग्रेस धार्मिक उन्माद फैलाना चाहती है. ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार प्रशासन कार्रवाई कर रहा है. धर्म की राजनीति कर वर्ग विशेष को खुश करने की कोशिश की जा रही है. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि तय मापदंड से अधिक आवाज में बजाएंगे तो प्रशासन कार्रवाई करें. प्रशासन कर रहा है और आगे भी इस तरह की कार्रवाई जारी रहेगी.


1 दिन में हटाए 2527 लाउडस्पीकर
मध्य प्रदेश में सोमवार तक मंदिरों, मस्जिदों समेत अन्य धार्मिक स्थलों से करीब 3000 लाउडस्पीकर हटाए गए. भोपाल में 96 जगह कार्रवाई हुई. मुख्यमंत्री प्रदेश में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर पर कार्रवाई की गई. जबलपुर जोन में 50 लाउडस्पीकर हटाए गए. शुक्रवार को कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक करते हुए मुख्यमंत्री ने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर, खुले में नमाज, डीजे और खुले में मांस बिक्री के खिलाफ दोबारा अभियान चलाने के आदेश दिए थे. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया. 


इंदौर में दिया ये तर्क
इंदौर में 258 धार्मिक स्थलों से 437 लाउडस्पीकर हटाए गए. शहर काजी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के खिलाफ बताया. कलेक्टर ने कहा कि नियम सारी गाइडलाइन के अनुसार ही हैं और पुलिस ने नियम को पालन न करने पर कार्यवाही होने की बात कही.  राज्य सरकार का धार्मिक स्थलों से ध्वनि प्रदूषण करने वाले ध्वनि विस्तारक यंत्र को हटाने का फैसला अब कानूनी झमेले में फसता हुआ नजर आ रहा है, क्योंकि इंदौर में शहर काजी ने कलेक्टर से मुलाकात कर बताया कि शासन का यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को पूरा नहीं करता हैं. गाइडलाइन के अनुसार 55 डेसीबल से ज्यादा की आवाज में ध्वनि विस्तारक यंत्र को बजाना गलत है, जबकि धार्मिक स्थलों पर लगे ध्वनि विस्तारक यंत्र इस डेसीबल से कम में बजाए जा सकते हैं.