Tarkash Today: आज के बदलते युग में सभी सरकारी विभाग के पास अपना ऑफिस है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि MP के रीवा जिले में ट्रैफिक पुलिस के पास अपना खुद का दफ्तर नहीं है. आलम ये है कि धर्मशाला में ट्रैफिक पुलिस को अपना दफ्तर लगाना पड़ता है. पढ़िए रिपोर्ट- 


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रीवा ट्रैफिक पुलिस के विभाग के पास ऑफिस नहीं
ऑफिस वो जगह है, जहां आराम से लोग अपना काम करते हैं. आज के समय में चाहे प्राइवेट हो या सरकारी कंपनी सभी के पास अपना एक ऑफिस होता ही है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि रीवा के ट्रैफिक पुलिस के पास अपना कोई ऑफिस नहीं है.


धर्मशाला में लगता है ऑफिस
रीवा के ट्रैफिक पुलिस का दफ्तर एक धर्मशाला में लगता है. वो भी ऐसी धर्मशाला जिसे पहले के राजा-महाराजाओं ने लोगों के आराम के लिए बनवाया था. राजशाही खत्म हो गई. इमारत सरकार के कब्जे में पहुंच गई, जिसके बाद इस धर्मशाला को पुलिस कर्मियों का ठिकाना बना दिया गया. 


विकास की भेंट चढ़ा दफ्तर
बदलते वक्त के साथ बड़े ट्रैफिक दफ्तर की जरूरत महसूस की जाने लगी, जिसके बाद एक बड़ा ट्रैफिक दफ्तर बनाया गया लेकिन वो भी विकास की भेंट चढ़ गया. नतीजन अब वहां पर शॉपिंग कॉम्पलेक्स बन रहा है. वहीं, दूसरी ओर यातायात दफ्तर के लिए पुलिस विभाग ने रीवा के पुलिस कंट्रोल रूम और सिविल लाइन थाने के पीछे ही एक जगह को चुना. बकायदा शानदार इमारत का निर्माण कराया गया लेकिन जैसे ही इमारत बन कर पूरी हुई यहां पर पुलिस कप्तान की नजर पड़ गई और यातायात विभाग के लिए बनाया गया दफ्तर कब पुलिस कप्तान के दफ्तर में बदल गया किसी को पता ही नहीं चला.


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ऐसे में अब रीवा आईजी महेंद्र सिंह सिकरवार एक बार फिर नए सिरे से यातायात दफ्तर के लिए नई जगह तलाश रहे हैं. अब बड़ा सवाल ये है कि क्या कभी रीवा के ट्रैफिक दफ्तर को अपना खुद का कार्यालय मिलेगा या आजादी के 77 सालों के बाद भी कार्यालय के लिए इधर उधर भटकना पड़ेगा. 


इनपुट- ब्यूरो रिपोर्ट, ज़ी मीडिया 


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