राज्य की GDP बढ़ाने के लिए शिवराज सरकार का बड़ा दांव! कमाई बढ़ाने के लिए बनाई टास्क फोर्स
MP GDP: वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार का कुल खर्च अनुमानित 2,34,918 करोड़ रुपए रहेगा. वहीं सरकार ने उधार समेत कुल 1,66,525 करोड़ रुपए विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त किए.
प्रमोद शर्मा/नितिन गौतम: मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने प्रदेश की जीडीपी (GDP) बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है. इसके लिए सरकार ने एक टास्क फोर्स समिति का गठन किया है. यह समिति सरकार को सलाह देगी कि कैसे राज्य की जीडीपी को बढ़ाया जाए. इस टास्क फोर्स (Task Force) में देश के विभिन्न बुद्धिजीवियों को रखा गया है. मध्य प्रदेश नीति आयोग के उपाध्यक्ष सचिन चतुर्वेदी को इस टास्क फोर्स समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.
इन लोगों को टास्क फोर्स समिति में किया गया शामिल
राज्य की शिवराज सरकार ने प्रदेश की जीडीपी में वृद्धि के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक उपायों को चिन्हांकित करने के लिए टास्क फोर्स समिति गठित करने का फैसला किया है. इस समिति में भारत सरकार के पूर्व वित्त सचिव सुमित बोस, रिसर्च एंड इंफोर्मेशन सिस्टम ऑफ डेवलेपिंग कंट्री के प्रोफेसर एस.के. मोहंती, आदित्य बिरला ग्रुप के चीफ इकोनॉमिस्ट अजित रानाडे, डॉ. भीमराव अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स यूनिवर्सिटी बेंगलुरू के कुलपति डॉ. एनआर भानुमूर्ति, स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के संचालक प्रो. कन्हैया आहूजा, वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट मुंबई के सीनियर फेलो प्रो. अमिताभ कुंडु के साथ ही प्रदेश के प्रमुख सचिव, सचिव वित्त विभाग सदस्य के रूप में शामिल हैं.
बढ़ते कर्ज (Debt) ने बढ़ाई चिंता
मध्य प्रदेश सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़कर 2.31 लाख करोड़ तक पहुंच गया है जबकि 2021-22 में सरकार का कुल बजट ही 2.41 लाख करोड़ रुपए रहा था. कोरोना महामारी में जब प्रदेश समेत पूरे देश में आर्थिक गतिविधियां बंद रहीं तब प्रदेश सरकार ने 23 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया. यही वजह है कि बढ़ते कर्ज की समस्या से प्रदेश सरकार भी चिंतित है. ऐसे में सरकार ने प्रदेश की जीडीपी बढ़ाने के बारे में विचार किया है और इसके लिए ही विशेषज्ञों से सलाह लेकर आगामी योजनाएं बनाई जाएंगी.
क्या कहती है मध्य प्रदेश की जीडीपी (GDP)
PRSIndia.org की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021-22 में मध्य प्रदेश सरकार ने जो बजट पेश किया था. उसके मुताबिक मध्य प्रदेश की GSDP(Gross State Domestic Product) अनुमानित 11,32,116 करोड़ रुपए रही थी. वित्तीय वर्ष 2019-20 के मुकाबले प्रदेश ने 10 फीसदी वार्षिक ग्रोथ हासिल की है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार का कुल खर्च अनुमानित 2,34,918 करोड़ रुपए रहा. वहीं सरकार ने उधार समेत कुल अनुमानित 1,66,525 करोड़ रुपए विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त किए.
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प्रदेश का राजस्व घाटा वित्तीय वर्ष 2021-22 में अनुमानित 7953 करोड़ रुपए रहा. वहीं राजकोषीय घाटा अनुमानित 50,598 करोड़ रुपए रहा. बजट में राजकोषीय घाटा कुल जीडीपी का 4.96 फीसदी रखने का अनुमान लगाया गया था लेकिन यह बढ़कर 5.66 फीसदी हो गया है.
जीडीपी क्या होती है? (What is GDP)
किसी भी देश ने एक साल में कितने सामान बनाए और कितनी सेवाएं दीं, उनकी कुल वैल्यू को जीडीपी यानी कि ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (सकल घरेलू उत्पाद) कहा जाता है. इससे पता चलता है कि सालभर किसी देश या प्रदेश की अर्थव्यवस्था ने कैसा प्रदर्शन किया. जीडीपी में गिरावट को अर्थव्यवस्था की गिरावट से जोड़कर देखा जाता है.
इसका मतलब ये है कि जीडीपी अगर बढ़ रही है तो देश या प्रदेश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और लोगों के जीवन स्तर में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, जीडीपी की गणना के चार मुख्य घटक होते हैं. इनमें पहला घटक है 'कंजम्पशन एक्सपेंडिचर' यानी कि किसी देश या प्रदेश में लोगों ने विभिन्न सामानों को खरीदने के लिए कितना खर्च किया.
दूसरा 'गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर' इसमें सरकार द्वारा जनकल्याण, इंफ्रास्ट्रक्चर में कितना खर्च किया, यह देखा जाता है.
तीसरा 'इनवेस्टमेंट एक्सपेंडिचर' इसमें विदेशी निवेश को देखा जाता है और आखिर में आता है 'नेट एक्सपोर्ट' मतलब किसी प्रदेश या देश ने कितना निर्यात किया.