शुभम शांडिल्य/नई दिल्लीः हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का बहुत महत्व है. सोमवती अमावस्या के दिन काल सर्पदोष, पितृदोष और अल्पायु दोष के निवारण के लिए पूजा की जाती है. इस दिन शनि यम और शंकर भगवान की पूजा की जाती है. साथ ही इस दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यता अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन पितरों के तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इस बार सोमवती अमावस्या 30 मई को है. इस बार की सोमवती अमावस्या पर वट सावित्री व्रत और शनि जयंती पड़ने से विशेष संयोग बन रहा है. आइए जानते हैं, इस दिन किस विधि से करें पूजा और किन वस्तुओं का करें दान?


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सोमवारी अमावस्या का महत्व
दरअसल सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है. इस दिन लोग व्रत रखकर शिव और पार्वती की पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत रहने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. साथ ही निसंतान दंपत्ती को संतान की प्राप्ति होती है.


 


सोमवती अमावस्या पर करें स्नान-दान
धार्मिक मान्यता अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद किए गए दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. इस दिन स्नान करने के पश्चात् गरीबों को जरूरत की चीजें और जानवरों को चारा खिलाना बेहद लाभदायक होता है. जो व्यक्ति किसी पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं वो घर पर ही पवित्र नदी के जल को मिलाकर स्नान कर सकते हैं.


 



पौराणिक मान्यता अनुसार सोमवारी अमावस्या के दिन गंगा नदी में स्नान करने के बाद दान करने से मनुष्य के सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. माना जाता है की पीपल के पेड़ में पितरों का वास होता है. इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ में जल में दूध और काले तिल मिलाकर चढ़ाने और पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है.  


 


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disclaimer: इस लेख में दी गई समस्त जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.  


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