भोपाल। तेज तर्रार महिला नेता, ओजस्वी वक्ता, हंसमुख, मिलनसार, प्रभावी शख्सियत जिनके धारधार भाषणों को हर कोई सुनता रहता था. एक ऐसी महिला नेता जिन्होंने बीजेपी में रहते हुए कई असंभव से दिखने वाले कामों को भी संभव किया. बात कर रहे हैं देश की पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की कद्दावर नेता रही सुषमा स्वराज Sushma Swaraj की, आज सुषमा स्वराज की पुण्यतिथि है. 2019 में सुषमा स्वराज भले ही देश को अलविदा कह गई, लेकिन उनके शानदार व्यक्तिव, राजनीतिक जीवन और सामाजिक जीवन के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा. सुषमा स्वराज का मध्य प्रदेश madhya pradesh से गहरा नाता रहा है. वह दो बार एमपी से लोकसभा Lok Sabha पहुंची तो एक बार राज्यसभा Rajya Sabha की सदस्य भी रही. मध्य प्रदेश में कोई उन्हें दीदी तो कोई ताई कहकर बुलाता था. आज मध्य प्रदेश भी उन्हें याद कर रहा है. 


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एमपी के लोगों से था भाई बहन का रिश्ता 
सुषमा स्वराज का राजनीतिक करियर 4 दशकों से भी लंबा रहा, राजनीति के बीच जो उन्‍होंने पहचान बनाई वो राजनीति में आने वाली कई पीढि़यों को प्रेरणा देती रहेगी, वे ऐसी नेता थी जिनके विरोधी भी मुरीद थे, वैसे तो राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में उनका कई राज्यों से नाता रहा. लेकिन मध्य प्रदेश से उनका गहरा नाता था, क्योंकि सुषमा स्वराज ने खुद कहा था कि मध्य प्रदेश के लोगों से तो उनका भाई-बहन का नाता है. जब 2009 में सुषमा स्वराज विदिशा Vidisha से लोकसभा सांसद चुनी गई तो उन्होंने कहा था कि यहां के लोगों के लिए वह हमेशा उपलब्ध रहेगी, क्योंकि उनका तो यहां के लोगों से भाई-बहन का रिश्ता है. खास बात यह है कि उन्होंने अपने आखिरी वक्त यह वादा निभाया भी. 


लोगों से रक्षा का वचन मांगती थी सुषमा स्वराज 
सुषमा स्वराज ने एमपी के मतदाताओं से भाई-बहन का रिश्ता बनाया था. वह हर भाषण में इसे दोहरातीं थीं. वह जिस भी क्षेत्र में जाती थी वहां लोगों से रक्षा का वचन भी मांगती थीं. यही वजह रही कि वह इस क्षेत्र की निवासी नहीं होने के बावजूद लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहीं. 2009 में आम चुनाव में भाजपा ने से सुषमा स्वराज जब लोकसभा का प्रचार करती थी तो वह प्रचार के लिए गांवों में सभाएं करतीं थीं, इस दौरान उनका भाषण राजनीतिक न होकर पूरी तरह भावनात्मक होता था. वह हर सभा में कहतीं थीं कि यहां के मतदाता उनके भाई हैं. एक बहन उनसे रक्षा का वचन लेने आई है. इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सुषमा का अपने संसदीय क्षेत्र विदिशा के लोगों से भावनात्मक जुड़ाव था और वह महीने में चार दिन अपने लोकसभा क्षेत्र में रहती थीं. 


हर कार्यकर्ता का याद रहता था नाम
सुषमा स्वराज प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में जाती थी, तो कोई उन्हें दीदी कोई बहन कहकर बुलाता था. खास बात यह है कि याददाश्त के मामले में भी सुषमा स्वराज का कोई सानी नहीं था. पहले ही चुनाव में जब वे विदिशा चुनाव लड़ने पहुंचीं तो बहुत कम समय में उन्हें एक-एक बूथ और एक-एक बूथ के कार्यकर्ता मंडल के अध्यक्ष पदाधिकारी से लेकर सारे कार्यकर्ताओं का नाम तक याद हो गया था. जब भी कोई सामने आता तो वह उसका नाम लेकर पुकारा करती थीं, जिसे सुनकर सामने वाला भी हैरान रह जाता था. 


2008 से ही एमपी में रहने लगी थी सुषमा स्वराज 
सुषमा स्वराज को भी मध्य प्रदेश से गहरा लगाव था, यही वजह थी कि 2008 में सुषमा स्वराज ने भोपाल Bhopal को अपना स्थाई ठिकाना बना लिया था और प्रोफेसर कॉलोनी स्थित सरकारी बंगले में रहने लगी थीं. भोपाल में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भी सुषमा स्वराज की ही देन है. 2004 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने भोपाल में एम्स की आधारशिला रखी थी. 


विदिशा संसदीय क्षेत्र को दी कई सौगातें  
सुषमा स्वराज बड़ी नेता थी, ऐसे में उन्होंने केवल विदिशा संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व ही नहीं किया बल्कि विदिशा को फायदा भी पहुंचाया, सुषमा स्वराज ने कई सालों से अटकी योजनाओं को फिर से चालू करवाया था. रायसेन जिले में प्लास्टिक पार्क बनवाया, विदिशा में करोड़ों की लागत से ऑडिटोरियम बनवाया, विदिशा और औबेदुल्लागंज के पुलों का काम पूरा करवाया. जिसका फायदा आज भी यहां के लोगों को मिलता है. 


सुषमा स्वराज ने तीन बार किया मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व 
सुषमा स्वराज ने राष्ट्रीय राजनीति में तीन बार मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व कियाअप्रैल 2006 में सुषमा स्वराज को मध्य प्रदेश से राज्यसभा में तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से निर्वाचित किया गया था. इसके बाद 2009 में उन्होंने मध्य प्रदेश के विदिशा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनी. 2014 के लोकसभा चुनाव में दोबारा विदिशा से लोकसभा पहुंची और इस बार उन्हें मोदी सरकार में विदेश मंत्री बनाया गया था. मध्य प्रदेश के न केवल सत्ता पक्ष के नेताओं से बल्कि विरोधी दल के नेताओं से भी सुषमा स्वराज के अच्छे रिश्ते थे.