Navratri March 2023: राहुल राठौड़- नवरात्र में जहां एक ओर लोग मांस व मदिरा के सेवन से बचते हैं. वहीं उज्जैन (Ujjain Barah Khamba Mandir) में चौबीस खंबा स्तिथ देवी महामाया और महालाया माता मंदिर एक ऐसा स्थान है, जहां महाअष्टमी पर्व पर माता को देशी मदिरा का भोग लगाया जाता है. इतना ही नहीं इस मंदिर में आने वाले भक्तों को भी प्रसाद के रूप में शराब ही बांटी जाती है. नवरात्र के दिनों में यहां बड़ी संख्या में भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. कहा जाता है कि मंदिर में ये परंपरा राजा विक्रमादित्य के शासन काल से चली आ रही है. साल में आने वाले दो नवरात्र पर इस परंपरा को साधु संत व जिलाधिकारी पुजारी के माध्यम से निर्वहन करते हैं. 


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राजा विक्रमादित्य की नगरी में अनोखी परंपरा 
बताया जाता है कि छोटी नवरात्र में कलेक्टर व एसपी और बड़ी नवरात्र में साधु संत इस परंपरा को पूरा करते हैं. आज चैत्र माह की बड़ी नवरात्र पर इस साल भी साधु संतो ने परंपरा का निर्वहन किया. चौबीस खंबा स्तिथ देवी महामाया और देवी महालाया की प्रतिमाओं की पूजन के बाद नगर पूजन यात्रा शुरू होती है. माना जाता है राजा विक्रमादित्य इन देवियों की आराधना किया करते थे. उन्हीं के समय से नवरात्रि के महाअष्टमी पर्व पर यहां सरकारी अधिकारी व साधु संत के द्वारा पूजन किये जाने की परम्परा शरू हुई. यह पूजन विश्व कल्याण और नगर की शांति सुख समृद्धि के लिए की जाती है.


करते हैं 27 किलोमीटर पैदल भ्रमण 
चौबीस खंबा स्थित देवियों के मंदिर में पूजन के बाद नगर कोतवाल एक हांडी में शराब लेकर, जिसमें छोटा सा छेद होता है उसे लेकर करीब 27 किलोमीटर पैदल भ्रमण करते हैं. मार्ग में आने वाले करीब 40 मंदिरों में मां को मदिरा ही अर्पित की जाती है. बताया जा है कि राजाओं के शासनकाल के बाद इसे जागीरदार, जमीनदार पूरी करते रहे हैं और परम्परा आज भी जारी है. 


मंदिर का इतिहास
उज्जैन नगर में प्राचीन चौबीस खंबा माता का द्वार माना जाता है. नगर रक्षा के लिये यहां चौबीस खंबे लगे हुए थे, इसलिये इसे चौबीस खंबा द्वार कहते हैं. मान्यता है कि प्राचीन समय में इस द्वार पर 32 पुतलियां विराजमान थीं. यहां हर रोज एक राजा आता था, जिससे पुतलियां प्रश्न पूछती थीं. राजा इतना घबरा जाता था कि डर की वजह से उसकी मृत्यु हो जाती थी. जब विक्रमादित्य की बारी आई तो उन्होंने नवरात्रि की महाअष्टमी पर देवी की पूजा की और पुतलियों के प्रश्नों का उत्तर दिया. तब उन्हें माता का आशीर्वाद मिला.